[ केसर की खेती कब और कैसे की जाती है 2024 ] जानिए कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में | Saffron Farming in India

Last Updated on February 6, 2024 by krishisahara

केसर की खेती कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान | केसर की कीमत | केसर की खेती कब और कैसे करें | केसर का पौधा | भारत में केसर की खेती कहां होती है | केसर का बीज | Kashmiri और American kesar ki kheti | केसर की खेती के लिए जलवायु

लगातार कई वर्षो से केसर की खेती भारत में अपनी एक अलग ही पहचान बना रही है | यह एक प्रकार की पहाड़ी क्षेत्र की सबसे महंगी फसल है, जो मुख्यतः पहाड़ी इलाकों में ही विकसित होती है | केसर की खेती विश्व की सबसे कीमती खेती मानी जाती है, जो भारत में केवल मुख्यतः जम्मू-कश्मीर घाटी में की जाती है |

केसर-की-खेती

भारत के अनेक शोध संस्थाओं ने इसकी कई प्रजातियां तथा उन्नत किस्में विकसित की है, जो देश के अन्य राज्यों में भी संभवत लगाई जा सकती है | पिछले कुछ सालों से देश का उद्यान विभाग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र में जलवायु और मिट्टी अनुरूप वाले क्षेत्रों में इस खेती का परीक्षण दे रहा है |

वर्तमान में केसर की बहुत सी किस्मों की खेती कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार जैसे प्रदेशो में की जा रही है | आइए जानते है केसर की खेती के बारे में पूरी जानकारी

Contents

भारत में केसर की खेती कहां-कहाँ होती है ?

भारत में केसर की खेती व्यवसायिक तौर पर मुख्यतः कश्मीर में मानी जाती है | वैसे तो भारत में केसर 95% विदेशों से आयात होती है, पर फिर भी भारत में कश्मीर की केसर बहुत ही विश्व प्रसिद्ध है | इसके अलावा भारत में अनेक क्षेत्रों में भी केसर की खेती को अपना रहे है, लेकिन जलवायु के विविधता के कारण वहां कम कारगर साबित हो रही है | जम्मू कश्मीर में केसर की खेती का राज मुख्यतः वरदान है | वहां के कुछ प्रकृति चयनित क्षेत्रों में ही Saffron farming संभव है |

  • कश्मीर के केसर उत्पादक क्षेत्र मुख्यत है – गुस्सु, पांपोर इलाका, पुलवामा, बडगाम, श्रीनगर सेंट्रल कश्मीर के क्षेत्रो में मुख्यतः होता है |
  • हाल ही में भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश में भी केसर की खेती के लिए व्यवसायिक मान्यता दे दी है | हिमाचल के मुख्य कृषि अनुदेशको ने यह के कल्लू, चंबा, मंडी-क्षेत्र, कन्नूर इन क्षेत्रों को चुना गया है, जिसमें व्यवसाय खेती की जाएगी |
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र में जलवायु और मिट्टी अनुरूप वाले क्षेत्रों में इस खेती की कई किस्मों की खेती को देखा जा सकता है |

केसर की खेती कैसे होती है ?

केसर की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी –

समुंदर तल से मुख्यतः 1500-2500  मीटर की ऊंचाई वाले पथरीली भूमि स्थान, जलवायु ठंडी तथा शुष्क होनी चाहिए| हल्की धूप वाले क्षेत्रों में ज्यादा विकसित की जा सकती है | ज्यादा बारिश वाले स्थान पर पौधे का विकास कम होता है ज्यादा बारिश वाले स्थान भी प्रभावित करते है, फूल लगने की क्रिया भी थोड़ी कम हो जाती है |

इस प्रकार की खेती के लिए मुख्य दोमट मिट्टी और रेतीली चिकनी में बलुई मिट्टी इसमें पानी का निकासी आसानी से हो उपयुक्त रहती है |

केसर बीज रोपाई का समय/केसर बुवाई का समय –

  • केसर का बीज लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त माह के बीच में उपयुक्त रहता है |
  • Saffron bulbs/corms को मध्य जुलाई में लगाने का जो समय है, वह सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है |

केसर का बीज (Saffron Bulbs/Corms) –

Saffron का बीज सामान्यतः लहसुन के आकार का होता है, जो अनेकों साल तक चलता रहता है| केसर के बीज को बल्ब बोलते है | केसर के बीज को एक बार खेत में लगाने के बाद एक फसल लेने के बाद अगली फसल में भी उसी के केसर बल्ब को काम में ले सकते है| केसर के एक बल्ब की कीमत औसतन ₹15 से लेकर ₹50 के बीच में होती है |

केसर की उन्नत किस्में ?

  1. मोगरा केसर
  2. अमेरिकी केसर

केसर की खेती में सिंचाई –

इस प्रकार की खेती में औसतः 10 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है| एक बार केसर बीज /Saffron bulbs की रोपाई के लगभग 15-15 दिन के अंतराल में 2-3 सिंचाई करें सिंचाई करते समय मुख्य ध्यान रखें कि कहीं खेत में जलभराव ना हो विशेष तौर से बारिश के समय यदि हो तो जल निकासी का जल निकासी प्रबंधन करें |

केसर की खेती में देखभाल की जरूरत ?

  • इस प्रकार की खेती में मुख्यतः बात होती है, की खेती बुवाई के समय खेत अच्छी तरह से तैयार होना चाहिए |
  • Kesar Ki Kheti में अनावश्यक खरपतवार ना होने दें |
  • खेत में देखरेख करते रहना चाहिए खरपतवार हटा देनी चाहिए |
  • केसर के अच्छे विकास के लिए कम से कम हर दिन 6 से 8 घंटे धूप की आवश्यकता होती है |
  • जब केसर के पौधे उगाव यानी जमीन से बाहर निकलने की अवस्था में दो से 3 दिन में सिंचाई करते रहना चाहिए |
  • ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का यानी गोबर खाद का उपयोग हो और ज्यादा धूप बारिश का भी ध्यान रखना चाहिए |
  • मिट्टी जितनी उपजाऊ होगी उत्पादन उतना ही ज्यादा होगा इसलिए बुआई के समय जैविक खादों का प्रयोग करके बढ़ाया जा सकता है |

केसर के फूलों के आने का समय –

केसर की खेती में अक्सर केसर के फूल मुख्यता अक्टूबर से शुरू हो जाते है, जो अगले लगभग एक महीने तक फूल आने की प्रक्रिया चलती रहती है | केसर के फूल को मुख्यतः पूर्ण रूप से खिलने के दूसरे दिन ही तोड़ लेना चाहिए, जिससे कैंसर की गुणवत्ता बनी रहे |

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असली केसर और नकली केसर कैसे पहचाने ?

असली केसर नकली केसर
असली के Saffron हमेशा सवाद में थोड़ा सा कड़वा होता है |स्वाद के अनुसार नकली केसर को पहचान करना मुश्किल है |
इसके रेशे के एक छोर सफेद रंग पर खत्म होता है |नकली केशर का रेशा पूरा कलर में डूबाकर तैयार किया जाता है, इसलिए पूरा रेशा लाल होता है |
असली केसर को खाने पर केसर का रंग पीला होता है |
अच्छा केसर सामान्यतः कभी भी पूर्ण घुलनशील नहीं होता है|जबकि नकली केसर रेसा घूल जाता है |
केसर-की-खेती

सामान्यतः अमेरिकी केसर सस्ती तथा कम गुणकारी होती है, इसलिए इसको अकसर कश्मीरी केसर के साथ मिलाकर अक्सर बाजारों में बेच देते है | अमेरिकी केसर 50,000 से ₹80,000 प्रति किलो के भाव मे बिकती है और मोगरा केसर यानी कश्मीरी केसर 2,00000 से ₹5,00000 प्रति किलो में बिकती है |

भारत में केसर से संबंधित आंकड़े ?

भारत में केसर कम क्षेत्रों में उत्पादित होने के कारण और भारत में मांग ज्यादा होने के कारण इसकी पूर्ति भारतीय केसर से नहीं हो पाती है |

  • लगभग 95% भारत में केसर बाहरी देशों से मंगाई जाती है, जिसमें मुख्य रूप से ईरान देश से सर्वाधिक केसर का आयात करता है |
  • भारत हर साल लगभग दूसरे देशों से 90 टन केसर का कुल बाहरी केसर का आयात करता है |
  • विश्व में सर्वाधिक केसर का उत्पादन ईरान में होता है, जो लगभग विश्व का कुल उत्पादन का 90% उत्पादन करता है |
  • दुनिया भर में कुल 300 टन केसर का उत्पादन होता है |
  • बता दे की भारत में केसर का कुल 17 टन उत्पादन होता है | 
  • कश्मीर राज्य के 250 गांव ऐसे है, जो Saffron की खेती से जुड़े हुए है | इसमें यहां के 20 हजार लोग केसर की खेती से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है | तथा अपनी आजीविका निर्वाह करते है |

वर्तमान समय में कश्मीर में केसर की खेती पर बहुत बुरा असर पड़ा है, पिछले चार-पांच दशकों में यहां का प्रति हेक्टेयर उत्पादन तथा खेती से जुड़े किसान आदि का अनुपात घट गया है | इसका मुख्य कारण सरकार नीतियां, शहरीकरण, आतंकवाद, सिंचाई, जनसंख्या उद्धोग आदि की भूमिका है |

केसर-की-खेती

केसर में खास बातें/केसर की खसियते ? 

  • बता दे की केसर की कोई भी एक्सपायरी डेट नहीं होती है, केसर कभी खराब नहीं होता है |
  • केसर जितना समय पुराना होगा उतना ही लाभकारी तथा अच्छी क्वालिटी का और महंगा होगा |
  • भारत में केसर का प्रति हेक्टेयर उत्पादन यानी केसर उपज लगभग 1.8 kg से 3 kg सुखी केसर का उत्पादन होता है |
  • इस प्रकार भारत के किसान प्रति हेक्टर केसर की खेती करके 300000 से ₹600000 कमा सकते है |
  • भारत का कोई भी किसान केसर को यदि खरीदना या बेचना चाहता है, तो व्यवसायिक तौर पर भारत की आयुर्वेदिक मंडियों में या आयुर्वेदिक बाजार (केसर की मंडी) में इसका क्रय विक्रय कर सकता है |
  • केसर का व्यापार या kesar ka bij kaha milta hai इसके लिए किसान दिए गए लिंक पर जाकर केसर बाजार के बारे में अधिक जानकारी ले सकता है – केसर online

बाजार में केसर का क्या भाव है?

अमेरिकी केसर 50,000 से ₹80,000 प्रति किलो के भाव में बिकती है और मोगरा केसर यानी कश्मीरी केसर 2,00000 से ₹5,00000 प्रति किलो में बिकती है |

केसर का बीज कहाँ मिलता है?

केसर के बल्ब खरीदने के लिए कश्मीर के लोकल मार्केट या ऑनलाइन रूप से यहां से खरीद सकते है- इंडियमार्ट ऑफिसियल

केसर की खेती कौन से महीने में होती है?

1. केसर का बीज लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त माह के बीच में उपयुक्त रहता है |
2. Saffron bulbs / corms को मध्य जुलाई में लगाने का जो समय है, वह सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है |

भारत में केसर की खेती कहां होती है?

भारत में केसर की खेती सबसे ज्यादा कश्मीर के केसर उत्पादक क्षेत्रों में मुख्यत है – गुस्सु, पांपोर इलाका, पुलवामा, बडगाम, श्रीनगर सेंट्रल में होती है | उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र में जलवायु और मिट्टी अनुरूप वाले क्षेत्रों में इस खेती की कई किस्मों की खेती उद्यान विभाग द्वारा करवाई जा रही है |

केसर की खेती उत्तर प्रदेश?

अब यूपी में भी किसान उगा रहे है अमेरिकन केसर बीज, सामान्य खेती से अच्छी होती है कमाई | उद्यान विभाग द्वारा up के कई जिलों में इस खेती से जुडी जलवायु मिट्टी, किस्मों, उत्पादन, बाजार, आदि का प्रशिक्ष्ण देती है |

केसर की खेती मध्य प्रदेश?

MP के कई जिलों के प्रगतिशील किसान अमेरिकन केसर की किस्मों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है | कटनी, ग्वालियर, श्योपुर आदि जिलों में अमेरिकन केसर की फसल मांग के अनुसार बुवाई देखने को मिलती है |

केसर की एक्सपायरी डेट होती है क्या?

बता दे की केसर की कोई भी एक्सपायरी डेट नहीं होती है, केसर कभी खराब नहीं होता है | केसर जितना समय पुराना होगा उतना ही लाभकारी/गुणकारी तथा अच्छी क्वालिटी का और महंगा होगा |

राजस्थान में केसर की खेती कहां होती है?

राजस्थान में केसर की कई वैराईटीयों की पैदावार लेना सम्भव है | सर्दियों में राजस्थान के कई जिले ऐसे है, जहाँ केसर की खेती के लिए उपयुक्त बैठते है | राजस्थान के ठंडे इलाकों – कोटा, चुरू, बांसवाड़ा, सीकर, जयपुर, में सामान्य केसर और अमेरिकन केसर की उपज देखी गई है |

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