Last Updated on February 27, 2024 by krishisahara
मटर की फसल में कौन कौन से रोग होते हैं | मटर के मुख्य रोगों की रोकथाम | मटर का काला धब्बा | मटर के पत्तों पर लगने वाले रोग | मटर के कीट | मटर में जड़ गलन रोग | मटर के पौधे के लक्षण
मटर में लगने वाले रोग – आज के समय देशभर में हरे मटर की खेती अच्छे क्षेत्र में की जाती है, जिसकी मांग प्रोटीन युक्त दाल और सब्जियों के रूप में की जाती है | मटर फसल को रबी सीजन में सब्जियों की प्रमुख फसल माना गया है | बाजार में भाव अच्छे मिलने के कारण इसकी खेती में कई प्रकार की देखरेख और सावधानियाँ बरतते है, लेकिन फिर भी कीट-रोग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है |
आज इस लेख में आपको मटर की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारी मिलेगी, पाउडर फफूंदी, रतुआ रोग, मार्स रोग, लीफ माईनर कीट रोग, विल्ट या जड़ गलन शुरुआती लक्षण एवं प्रबंधन कैसें करना है| मटर की फसल में रोग लगने पर क्या करें –
मटर में लगने वाले रोग, लक्षण और रोकथाम –
मटर की फसल में कई तरह के रोग लग सकते है, जैसे की- दीमक, कटवर्म, पाउडरी मिल्ड्यू, रस्ट, उख्टा या जड़ सड़न, एस्कोकाईटा ब्लाईट, सफेद विलगन, फली छेदक, लीफ माइनर, माहू या चेपा आदि | इस प्रकार के मुख्य रोग आपकी मटर फसल में लग सकते है, तो आइए जानते है एक-एक करके –
मटर की फसल में विल्ट या जड़ गलन ?
इस रोग के शुरुआती लक्षण, मटर के पौधे की निचली पत्तियां पीली पड़ रही हो और पौधे बौने हो जाते है | मटर के पौधे का ऊपर का भाग पूरी तरह से मुरझा जाता है |
- यदि आप अगेती खेती यानि समय से पहले करते है, तो यह रोग ज्यादा देखने को मिलता है |
- इस समस्या से बचने के लिए उन्नत बीज अपनाए, घरेलू बीज को उपचारित करके ही बोना चाहिए |
- रोगी फसल के लिए खेत में आपको केचुआ खाद या CPP खाद का उपयोग करना चाहिए |
पाउडर फफूंदी मटर के लिए कौन सी दवा?
मटर की फसल में पाउडर फफूंदी रोग शुरुआत में पौधे की पत्तियों पर दिखाई देता है | यह रोग यदि अधिक फेल जाए, तो पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर जमा हो जाता है | इस जहरीले पाउडर के कारण पौधा सूर्य से ऊर्जा नहीं ले पाता है, इस प्रकार फसल अपनी वृद्धि और पैदावार खो बेठती है |
मटर के पौधों में पाउडर फफूंदी रोग के बचाव के लिए खड़ी फसल में घुलनशील गंधक का छिडकाव कर सकते है | बुवाई के समय बीज को बाविस्टीन या मैंकोजेब दवा से उपचारित करना चाहिए |
मटर का रतुआ रोग –
रतुआ रोग ग्रस्त फसल पौधे की पत्तियां के निचले हिस्से पर पीले या सतरंगी रंग के उबर हुए धब्बें दिखाई देते है | यह प्रकोप सीधा-सीधा फसल उत्पादन को प्रभावित करता है |
इस रोग रोकथाम में 400 ग्राम इंडोफिल एम 45 को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना है यह छिड़काव आपको 10 दिनों के अंतराल पर 2 या 3 बार तक करना है |
मटर में सड़न रोग क्या है ?
बता दे की खेत में अधिक समय तक जल भराव या अधिक नमी के कारण सड़न रोग की शुरुआत होती है | जलभराव से मटर फसल में कई रोंग का जन्म शुरू हो जाता है, इस रोग में पौधे की पत्तियां मुरझा कर नीचे गिर जाती है, कुछ समय बाद पौधे की जड़ भी सुख कर नष्ट हो जाती है |
रोकथाम के लिए जलभराव होने से बचाए, हर साल फसल चक्र अपनाए, जिससे फसल रोगों के प्रति प्रतिरोधी बन पाए खेत तैयारी के समय खेत की गहरी जुताई कराये |
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मटर में मार्श रोग का कारण क्या है?
मटर की फसल में मार्स रोक का मुख्य कारण मेगनीज पोषक तत्व की कमी के कारण होता है | फसल में गहरा हरा और हल्का हरा दोनों एक साथ देखने को मिलता है | फसल की ग्रोथ कम हो जाती है, फलियों का स्वाद फीका हो जाता है |
मटर की फसल में लीफ माईनर कीट रोग ?
लीफ माइनर रोग प्रौढ मखियों और कीट से फैलता है, फलियों, हरे तनों में घुसकर हरे पदार्थ को खाती है | फसल में इनका प्रभाव ज्यादा फैलने पर फूल तथा फलियों का लगना काफी कम हो जाता है |
निवारण एव रोकथाम के लिए – शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर, कार्बोरिल या मेलाथियान दवा का छिड़काव कर सकते है, जैविक तरीकों में खड़ी फसल पर नीम के तेल या नीम पत्ते की राख का छिडकाव कर सकते है |
मटर का रस्ट किट रोग –
यह रोग ज्यादातर नम जलवायु वाले क्षेत्रों में देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित फसल के हरे पौधे पर हल्के पीले धब्बे, मक्कड़ी के जाले जैसे दिखाई देते है |
रोकथाम के लिए – 3 किलोग्राम डीकार, 2 किलोग्राम डाईथेंन एम-45 या डाईथेंन जेड-78 को 700 से 1000 लीटर पानी में घोल कर फसल के खड़े पौधे पर छिड़काव कर सकते है |
मटर की खेती में प्रमुख देखरेख और सावधानियाँ ?
- मटर की खेती के लिए भूमि का चुनाव महत्वपूर्ण है, सबसे अच्छी जल निकास और जीवांश से भरपूर मिट्टी इसकी खेती के लिए बेस्ट है |
- उन्नत बीजों का चुनाव करें, घरेलू मटर बीज की बुआई से पहले बीज उपचार करना चाहिए |
- 2-3 अच्छी जुताई होनी आवश्यक, अंतिम जुताई से पहले कम्पोज खाद, ऑर्गेनिक खाद, डीएपी, केचुआ खाद डाले, इससे आपकी मिट्टी में नमी आएगी और फसल जल्दी से ग्रोथ करेगी |
- अधिक सिंचाई ना करें, बरसात के समय खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करनी होगी |
- फसल से समय-समय पर खरपतवार निकालना, निराई-गुड़ाई करना चाहिए |
- कीट रोग के प्रति जागरूक रहे, शुरुआती लक्षणों में रोकथाम के उपाय शुरू कर देना चाहिए |
मटर का बाजार भाव क्या चल रहा है?
वर्तमान में हरी मटर का बाजार भाव 1000 रुपए से 3000 रुपए प्रति कुंटल देखने को मिल रहा है वही, सूखे मटर के भावों की बात करें तो 5000 से लेकर अच्छी क्वालिटी का 8000 रु/क्विंटल के आस-पास भावों में बिक रहा है |
मटर में कौन कौन से रोग लगते हैं?
मटर की फसल में कई तरह के रोग लग सकते है जैसे की-पाउडरी मिल्ड्यू, रस्ट, उख्टा या जड़ सड़न, एस्कोकाईटा ब्लाईट, सफेद विलगन, फली छेदक, लीफ माइनर, माहू या चेपा रोग आदि का प्रकोप देखने को मिल सकता है |
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