Last Updated on November 15, 2024 by krishisahara
गेहूं की खेती कैसे करें | गेहूँ की उन्नत खेती | गेहूं की वैज्ञानिक खेती कैसे करें | गेहूं के लिए सबसे अच्छा खाद कौन सा है | गेहूं की खेती में कितना पानी देना चाहिए | गेहूं की खेती का समय | गेहूं की खेती PDF
देश में गेहूं की खेती लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है | गेहूं एक प्रकार की रबी की फसल है, देश में रबी की फसलों में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली अनाज की श्रेणी की फसल है | आजादी से पहले कृषि क्षेत्र में काफी गरीब यानि कम कृषि उत्पादन हुआ करता था और भारत में अनाज विदेशों से मँगवाया जाता था, लेकिन 1966 के बाद आई हरित क्रांति के अचूक प्रयासों ने आज भारत को कृषि प्रधान देश बना दिया है |
हरित क्रांति के प्रयासों के कारण देश का पंजाब आज गेहूं के उत्पादन में शीर्ष स्थान रखता है, साथ में पंजाब को गेहूं की टोकरी भी कहा जाता है |
आइए जानते है, आज के समय की गेहूं की उन्नत खेती के बारे में और गेहूं की खेती कैसे करें –
2024 में गेहूं का समर्थन मूल्य क्या है?
फ़सली वर्ष 2025-26 हेतु, हाल ही में केंद्र सरकार ने गेहूं का कम-से कम खरीद मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है | 2024-25 में गेहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये था, लेकिन अब सरकार किसानों से 2425 रूपये/क्विंटल में गेहूं की खरीदी की जाएगी |
गेहूं की खेती कैसे करें और आवश्यक कारक ?
गेहूं की खेती के लिए जरूरी मृदा, खाद, बीज, जलवायु, सिंचाई, खरपतवार के बारे में नीचे एक-एक करके जानकारी दी गई है| तो आइए जानते है गेहूं की उन्नत खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी |
गेहूं की खेती के लिए तापमान और जलवायु –
इसकी खेती के लिए तापमान की बात करें, तो गेहूं के बीज अंकुरण के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की उचित रहता है| जलवायु के बारे में बात करें तो आद्र-शीत जलवाऊ के में हल्की धूप तथा फसल पकते समय बसंत ऋतु उपयुक्त रहती है| जो मुख्यतः इस प्रकार की जलवायु पूर्वी-उतर-पश्चिमी भारत में रहती है |
मृदा और भूमि का चयन –
गेहूं की खेती सिंचाई क्षेत्र वाले हर प्रकार के क्षेत्रों में की खेती की जा सकती है| अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी-दोमट समतल जिसमें अच्छी जल निकासी हो, भूमि उपजाऊ और जीवाश्म-युक्त मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है |
खेत की तैयारी –
खेतों में गेहूं की बुआई के लिए किसानों को अक्टूबर तक खेतों को खाली कर लेना चाहिए | खेत की मिट्टी को पलटने वाले यंत्र से मिट्टी को पलट ले 7-8 दिन अच्छी धूप लगने के बाद खेत की भूमि को डिस्क हीरो हल की सहायता से 1-2 बार जुताई करा ले | धूप लगने के बाद मिट्टी हल्की बुरभुरी हो जाएगी जो गेहूं की बुआई के लिए बहुत ही अच्छी और उत्तम मानी जाती है | गेहूं खेत तैयारी में किसान चाहता है तो टैक्टर रोटेवर की सहायता से खेत को एक बार में ही तैयार कर सकता है |
गेहूँ की खेती कब बोई जाती है ?
इसकी खेती का उत्तम समय अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर नवंबर के पहले पखवाड़े तक का समय रहता है | यदि किसान इस समय गेहूं की खेती करता है, तो बीज दर में भी कमी होती है यानि 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लगता है |
ऊतरी-पूर्वी भागों के मध्य नवंबर तक बुआई किया जा सकता है | देरी से बोने के लिए उत्तरी पश्चिमी मैदानों में 25 दिसंबर के बाद तथा ऊतरी-पूर्वी मैदानों में 15 नवंबर के बाद गेहूं की बुवाई करने से उपज में भारी हानि होती है | इस प्रकार बासनी क्षेत्रों में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक वही करना उत्तम रहता है | भूमि की ऊपरी सतह से सुरक्षित नमी प्रचुर मात्रा में है तो गेहूं की बुवाई 15 नवंबर तक कर सकते है |
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बुवाई की विधि :-
गेहूं की बुआई करते समय ध्यान रखे भूमि में पर्याप्त नमी का होना चाहिए | किसान द्वारा चयनित गेहूं की किस्म के अनुसार बुआई के तरीके से करें | बुआई, गेहूं की किस्म के अनुसार समय पर कर देना चाहिए, क्योंकि जैसे बुआई में देरी से बीज की दर भी बढ़ती जाती है | गेहूं बुवाई के लिए सबसे बढ़िया तरीका – सीड़ ड्रिल मशीन को माना गया है |
गेहूं की प्रमुख उन्नत किस्में ?
किसान भाई गेहूं की खेती के लिए गेहूं की उन्नत किस्म का अध्ययन करने से पहले अपने क्षेत्र में प्रचलित और अधिकतम उपज देने वाली किस्मों का ही चयन करना चाहिए –
क्र. स. | समय से बुआई की किस्में – | देरी से बुआई की किस्में – |
1. | एचडी- 2967, एचडी -4713, एचडी -2851 | एचडी-2985, राज-3765, पी वि डब्ल्यू- 373, दी वि डब्ल्यू- 590 यू पी – 2425 |
2. | इनकी बुआई का उपयुक्त समय 10 नवंबर से 25 नवंबर माना जाता है | | इस प्रकार की गेहूं की किस्मों की बुआई 25 नवंबर से 25 दिसंबर माना गया है |
गेहूं के बीज की मात्रा :-
सिंचाई क्षेत्रों में समय से बुवाई करने के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज पर्याप्त रहता है | सिंचित क्षेत्रों में देरी से गेहूं की बुवाई करते है, तो इसके लिए 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की बीच की आवश्यकता पड़ेगी | साथ ही लवणीय और ऊसर मृदाओं के लिए 120 से 125 किलोग्राम प्रति हेक्टर रखनी चाहिए | सामान्य दशा में गेहूं को लगभग 3 से 4.5 सेंटीमीटर गहरी बुवाई करनी चाहिए |
गेहूं बीज का उपचार ?
गेहूं की खेती या बुआई से पहले इसका उपचार करना बहुत ही जरूरी है | इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थाइम या 2.50 ग्राम मेनकोजेब से उपचारित करना चाहिए | बीज को दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरोफ़ाईफ़ोरस 4 मिलीलीटर मात्रा से संपूर्ण बीज को उपचारित करें, उपचारित करने के बाद गेहूं के बीज को छाया में सुखाकर बुआई करनी चाहिए |
गेहूं फसल की सिंचाई ?
गेहूं की फसल में सिंचाई की औसतः 5-6 बार आवश्यकता होती है | प्रथम सिंचाई जब गेहूं की फसल बढ़ते समय यानी 20 से 25 दिन की हो जाए तब कर देनी चाहिए | दूसरे सिंचाई के बात करें तो 40 से 45 दिन की हो जाए तीसरी सिंचाई गेहूं के पौधे में गांठ बनने लग जाए, बुआई समय के 65 दिन के बाद |
चौथी सिंचाई गेहूं की फसल में बलियां निकलने के समय सिंचाई कर देनी चाहिए, जो लगभग 85 से 90 दिन बाद होती है | पांचवी सिंचाई 100 से 110 दिन के बाद जब फसल दूधिया अवस्था में ही करनी चाहिए, जब फसल 115 से 120 दिन की हो जाए |
यदि किसान के पास सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है या कम है तो इस स्थिति में 4 सिंचाई कर सकते है | पहली सिंचाई जड़ बनते समय तथा दूसरी सिंचाई गेहूं की फसल में गांठ बनते समय तथा तीसरी सिंचाई बलिया निकलते समय तथा चौथी सिंचाई दाना पक के समय करनी चाहिए |
गेहूं की खेती में होने वाले प्रमुख खरपतवार ?
किसी भी प्रकार की खेती हो उसमे अनावश्यक चारा/खरपतवार उगना शुरू हो जाता है, जो फसल की पैदावार को कम करता है और किसान को उत्पादन में काफी घाटा पहुचा देते है | किसान को लागत कम और अच्छा उत्पादन लेने के लिए समय-समय पर देख-रेख और अनावश्यक खरपतवार को फसल से हटा देनी चाहिए |
गेहूं में प्रमुख खरपतवार ?
बथुआ, सेन्जी, कृष्ण-नील, हिरन, चटरी, अकरा, जंगली गाजर, जंगली जोई, ज्याजी, खरतुआ, सत्याशी जैसे प्रमुख गेहूं की खेती में होने वाले चारे है |
गेहूं की कटाई का समय ?
गेहूं की अगेती किस्मों की कटाई फरवरी में शुरू हो जाती है और सामान्य समय में बोई गई गेहूं की फसलों की कटाई मार्च-अप्रेल में हो जाती है |
गेहूं की खेती में प्रमुख सावधानियाँ ?
किसान को किसी भी फसल की खेती करते कमी फसल के बारे में अच्छा ज्ञान और जानकारी होना जरूरी है क्यों की आज के समय की खेती सही देखभाल के बिना संभव नहीं है तो जानिए अच्छा उत्पादन के लिए गेहूं की खेती में बरती जाने वाली सावधानियाँ निम्न है –
- खेत से साल में दो से अधिक फसले लेते है तो हर फसल के लिए मिट्टी की जाँच कराए |
- खेत की तैयारी अच्छी प्रकार से हो रोटेवर, डिस्क हेरो, कल्टीवेटर (हल) आदि की सहायता से |
- जितना हो सके जीवांश युक्त खाद का ही प्रयोग करें |
- बीज शोध संस्थानों से प्रमाणित और बीजों को उपचारित करके ही खेतों में बुआई करें |
- सिंचाई को भी नियमित और भूमि की आवश्यकता अनुसार ही सिंचाई करें |
- किट और फसल रोंगों के प्रति सतर्क रहे, लक्षण होने पर तुरंत समाधान लेके निवारण करें |
गेहूं उत्पादन में भारत का कौन सा स्थान है ?
खाद्य अनाजों में सर्वोधिक काम में आने वाला अनाज गेहूं है, जो भारत विश्व के गेहूं उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है | साथ ही गेहूं के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान चीन का बना हुआ है |
विश्व में प्रमुख गेहूं उत्पादक देश ?
शीर्ष उत्पादन के हिसाब से चीन, भारत, सयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, रूस, आस्ट्रेलिया, कंनाडा, पाकिस्तान, तुर्की आदि है, यहां सबसे ज्यादा गेहूं की पैदावार होती है |
देश में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य ?
देश के प्रमुख गेहूं की पैदावार उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, गुजरात जैसे प्रमुख क्षेत्रों में गेहूं की भरपूर खेती होती है |
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