Last Updated on February 6, 2024 by krishisahara
अंगूर की बेल में कौन सी खाद डालें | अंगूर की बेल कैसी होती है | Angur ki bel kaise lagaen | अंगूर का पौधा कहां मिलेगा | Angoor ki bel की देखभाल कैसे करे | अंगूर की बेल मे फल कब लगता हैं | अंगूर की बेल की कटिंग कैसे करें
आज के समय देश के फलों की शोभा बढ़ाने में अंगूर भी कम नहीं है, अंगूर की खेती और अंगूर के पौधा को बहुत ही अच्छी कुशलता से उगाया जाता है| देश में अंगूर की खेती और बड़े स्तर पर उत्पादन- महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान जैसे राज्यों में होती है| आइए जानते है, आज के समय अंगूर की बेल और अंगूर फल से जुड़ी देश में हर एक जानकारी के बारे में –
ताज़े फल के रूप में खाया जाने वाला अंगूर एक स्वादिष्ट फल के रूप में जाना जाता है | अंगूर का उपयोग किशमिश, शर्बत, फल-फ्रूट्स, औषधीय, दवाईया एवं शराब जैसे पेय पदार्थ बनाने में किया जाता है| आज के समय कई लोग अंगूर की बेल को घरों और किसान भाई बाग-बगीचों के रूप में अपना रहे है, जिससे घर और बाजार की पूर्ति कर अच्छा खासा लाभ कमा रहे है –
अंगूर की बेल कैसी होती है ?
अंगूर की बेल विटेसी नामक फल की प्रजाति की बेल है, अंगूर की बेल दिखने में करेला और तोराई की बेल/लता के रंगरूप में होती है | अंगूर की पत्तियों का आकार ना ही छोटा होता है और ना ही ज्यादा बड़ा इनका आकार मध्यम होता है, इनका रंग हरा होता है| इसकी बेल समय के अनुसार दिनों-दिन पुरानी और मोटों होती जाती है | एक फसल देने के बाद में इसकी मुख्य तना/डाली से नई बेले-लताए निकलना शुरू हो जाती है |
अंगूर का पौधा कहां मिलेगा ?
घरेलू रूप में लगाने के लिए आप नजदीकी पेड़-पौधों की बड़ी नर्सरी में और बागान-बगीचे के लिए सरकारी उद्धान-पौधशाला या अन्य विश्वासपूर्ण नर्सरी से खरीद सकते है |
अंगूर का बीज/ग्रेपस सीड बीज की दुकानों पर या बेल पर ही पूरी तरह पक्के अंगुरो को सुखाकर अंगूर बीज निकाल कर नए पौधे भी तैयार कर सकते है |
अंगूर की बेल की कटिंग कैसे करें ?
इस फसल की बेलो में अधिक फुटाव एव उत्पादन हेतु बेल की कटिंग की जाती है | इसके लिए सही एंगल में कटना जरूरी हो जाता है, नहीं तो पूरी बेल की ग्रोथ रुक जाती है| बिना बीजों वाले अंगूर की बेलो की कटिंग 16-20 डिग्री ब्रिक्स पर काटा जाता है, जबकि सीड-बीज वाले अंगूरों को 13-14 डिग्री ब्रिक्स पर काटा जाता है| बड़े बागानों में बेल की कटिंग चाकुओं या मैन्युअल या इलेक्ट्रिक कैंची का प्रयोग करते हुए हाथ से कटाई की जानी चाहिए |
अंगूर की बेल की देखभाल कैसे करें ?
आज के समय कोई भी फसल हो बिना देखरेख के अच्छा उपज-उत्पादन नहीं ले सकते है | इसलिए आइए जानते है, अंगूर की बेल को किस प्रकार देखरेख के साथ ज्यादा और स्वादिष्ट अंगूर ले सकते है –
- अंगूर की बेल को स्वच्छ हवा और पूर्ण सूर्य के प्रकाश वाली जगह की आवश्यकता होती है |
- बाग या घर पर लगाने के लिए मिट्टी को गहरी, अच्छी तरह से सूखा और ढीलाई के साथ बाद में अच्छी हवा-पानी की आवश्यकता होती है |
- बेल रोपाई के पहले एक साल बेल को ऊपर की और बढ़ने 4 से 5 शखाओ में बढ़ने दें |
- लताओ को फैलाने और ऊपर चढ़ाने के लिए अच्छी कच्ची छत/बेरेजा-आधार की तैयार करनी चाहिए |
- फल उत्पादन के समय अंगूर के गुच्छों में से कुछ अंगूरों को केची से हटा/काट देना चाहिए, जिससे बाकि गुच्छे में फुलाव और हवा का आवागमन होता रहे |
- ज्यादा तापमान और अधिक आद्रता होने से अंगूर के पौधों में रोग लगना शुरू हो जाते है |
- यदि आपकी भूमि की मिट्टी उपजाऊ है तो पहले साल में खाद नही डालें, दूसरे वर्ष में आवश्यकतानुसार खाद डालें जिससे नई लताओ का विकास और वृद्धि हो |
- बेल/लताओं के चारों और नमी बनाए रखना चाहिए, इसके लिए आप ग्रीन हाउस, ग्रीन नेट, जड़ों के आस-पास हल्की सुखी घास आदि का प्रयोग कर सकते है |
- इसकी फसल को पक्षियों से भी ज्यादा खतरा रहता है, इसके लिए किसान दवा या जुगाड़ तरीकों का भी प्रयोग कर सकते है |
- प्रत्येक बेल में रोग कीटों के लक्षण की देखरेख करते रहना चाहिए, यदि हो तो उसका तुरंत निवारण करें |
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क्या अंगूर में बीज होते हैं ?
हाँ अंगूर में बीज होता है – आज के समय अंगूर की बढ़ती मांग के कारण और कृषि में नई तकनीकों के आगमन के कारण अंगूर के पौधे कुशल तरीकों से तैयार कर लेते है| बीज की बात करें, तो बाजार में आने वाले अंगूर बीजरहित/बिना बीज वाले आते है |
बिना ग्राफटेड तरीकों से तैयार किया गया पौधों के बड़े होने पर पेड़ पर ही पके अंगूरों से बीज को प्राप्त या तैयार कर सकते है | ये बीज बहुत ही महगे और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते है |
अंगूर कितने प्रकार के होते है और अंगूर का भाव ?
आमतौर पर अंगूर दो तरह के होते हैं, हल्के हरे रंग के और काले रंग के होते है – विदशों में लाल और गुलाबी, बेगनी रंगों वाले अंगूरों का भी उत्पादन होता है |
बाजार में अंगूर का भाव अच्छा अंगूर 100-150 रुपये किलो और हल्का माल 30 से 40 रुपये किलोग्राम के हिसाब में मिलता है |
अंगूर के मंडी भाव की बात करें, तो 20 से लेकर 100 प्रति कीलोग्राम के भावों में बिकता है, वैसे भाव देशभर में अंगूर के उत्पादन और बाजार में मांग पर निर्भर करता है |
अंगूर किस मौसम में आते हैं ?
हरा रंग का अंगूर बाजार में जनवरी-फरवरी के महीनों से आना शुरू हो जाता है, लेकिन आज-कल प्रगतिशील किसान अंगूर की अगेती और पछेती खेतीया कर अंगूर को लंबे समय तक बाजार में बनाए रखते है |
अंगूर की खेती कब होती है ?
खेती वाले प्रमुख क्षेत्र | जलवाऊ के अनुसार बुवाई समय |
मध्य भारत | नवंबर से जनवरी के दौरान |
उत्तरी भारत | दिसंबर-जनवरी के दौरान |
दक्षिणी भारत | फरवरी-मार्च के दौरान |
अंगूर की बेल में क्या डालना चाहिए ?
एक अच्छे उत्पादन वाले पौधे और बेल में – अंगूर की फसल में मुख्य रूप से मैगनीशियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, जस्ता, बोरान और पोटैशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी ज्यादा महसूस/आवश्यकता होती है |
उत्पादन दक्षता बढ़ने के लिए जरूरी पोषक तत्व की कमी को दूर करना, जिसके लिए आप नजदीकी कृषि खाद-बीज की दुकान पर अपनी फसल की कमी बता सकते है | सबसे उत्तम जैविक खादों, गोबर वाला खाद अधिक लाभदायक होता है |
अंगूर की बेल कितने साल में फल देती है?
आम तौर पर ये बेले लगभग 15-17 वर्षों तक अच्छी उपज देती है | बता दे की, अंगूर की खेती करने वाले किसान भाई 15 साल बाद खेत जोतकर फसल नष्ट कर देते हैं, क्योंकि इसके बाद यह अच्छी उपज नहीं दे सकती |
अंगूर की खेती करने वाले ज्यादातर किसान ग्राफ्टेड पौधों से खेती शुरू करते हैं, जो लगाने के एक-डेड साल बाद में फल-फूल आना शुरू हो जाते है |
अंगूर में फल कब लगता है ?
एक अच्छी वैरायटी के अंगूर की बेल को लगाने के बाद 15-18 महीने में अंगूर लगना शुरू हो जाता है| इसकी बेल से साल में केवल एक बार ही फल-फसल ले सकते है और फूल आने के बाद अंगूर को पकने में लगभग 100 से 110 दिन का समय लगता है |
अंगूर की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है ?
अंगूरों का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र से लिया जाता है क्योंकि यह की जलवायु और मिट्टी यहा के लिए वरदान साबित है, जिसके फलस्वरूप आज के समय देश में कुल अंगूरों का 80% से भी ज्यादा अंगूर अकेले महाराष्ट्र में उगाया जाता है – अंगूर की खेती कैसे करें 2024
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