Last Updated on February 1, 2024 by krishisahara
Assam chai ki kheti | भारत में चाय की खेती कहां होती है | चाय की खेती कैसे की जाती है | भारत में चाय का उत्पादन एवं वितरण | चाय की खेती किस मिट्टी में होती है | भारत में चाय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है | भारत में चाय उद्योग की शुरुआत कब हुई | चाय की खेती pdf | Tea Farming
आज के समय चाय दुनिया का सबसे लोकप्रिय पेय योग्य पदार्थ बन चूका है| देश में आज के समय कई सरकारी और निजी चाय के बागान है, जिनसे उद्योगों और स्थानीय से लेकर व्यापारियों तक रोजगार मिला हुआ है | चाय पत्ती एक सदाबहार झाड़ी नुमा पौधे से प्राप्त होता है, जो थियनेसेसिस नामक पेड़ का प्रजातीय है| चाय में थीन नामक पदार्थ पाया जाता है, जो मानव शरीर को ऊर्जा देता है |
भारत, चाय के उत्पादन मे दुनिया में अपना दूसरा स्थान रखता है, इसके लिए भारत की जलवायु और किसानों की मेहनत, श्रमशक्ति की देंन है |
इस लेख के माध्यम से आज हम बात करेंगे चाय की खेती कैसे की जाती है तथा चाय की विभिन्न प्रकार की विशेषताओं के बारे में –
चाय की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी –
भारत में चाय की खेती के बात करें तो चाय के सबसे सुंदर बागान दार्जिलिंग वह असम राज्य में देखने को मिलते है| चाय की खेती के लिए 24 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए| इसके उत्तम विकास तथा अच्छे ग्रोथ के लिए दोमट मिट्टी या चिकनी मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है |
आइए जानते है – भारत में चाय का उत्पादन सर्वाधिक कहाँ-कहाँ होता है और इसकी खेती करने के लिए क्या-क्या सावधानियां तथा जरूरतों की आवश्यकता पड़ती है |
चाय मुख्यतः तीन प्रकार की होती है –
काली चाय | हरी चाय/ग्रीन टी | गट्टी चाय |
इस प्रकार की चाय का उत्पादन भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में होता है | | इस प्रकार की चाय का उत्पादन विश्व में शीर्ष चीन, जापान, ताइवान, बांग्लादेश मैं इसका अच्छा उत्पादन होता है | | गट्टी चाय प्रकार के ज्यादातर पूर्वी एशिया में देखने को मिलती है | |
चाय की खेती कब और कैसे पूरी जानकारी ?
चाय की उन्नत किस्में –
भारत मे मुख्यतः चाय की पौध की किस्में –
- चीनी जात
- असमी जात
- सिल्वर निडल व्हाइट
- कांगड़ा चाय
- व्हाइट पिओनी
चाय की खेती के लिए जलवायु और तापमान ?
Tae farming के लिए 24 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए, 10 डिग्री से कम तापमान और 35 डिग्री से ज्यादा तापमान चाय की पैदावार को घटा सकता है| और इसके लिए वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर बोछारों के रूप में होने चाहिए |
Tae farming के लिए मुख्यतः चाय की पत्तियों का विशेष हो पर ध्यान रखना चाहिए घना कोहरा तथा और इसकी पतियों की बढ़त के लिए अत्यधिक अच्छा रहता है| चाय की खेती में पहली सिंचाई के समय ओलावृष्टि का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए |
चाय की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त?
मिट्टी की बात करें तो हल्की दोमट मिट्टी या इतनी मिट्टी की आवश्यकता होती है| लोहांस/आयरन की मात्रा बनाए रखने के लिए फास्फोरस पोटाश अमोनिया सल्फेट के साथ मिट्टी में गंधक की मात्रा आवश्यक होती है |
भूमि के चुनाव के लिए अम्लीय मृदा के साथ 5.4 से 6 पीएच मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है| चाय की खेती करते समय धरातल 1,000 से 2,000 मीटर ढाल युक्त लहरदार होना चाहिए| लहरदार और पहाड़ी के रूपी, जिससे कि चाय के पौधों की जड़ों में पानी नहीं रुक सके, इसलिए मैदानी भागों में चाय की खेती नहीं होती है |
चाय के पौधे/चाय के बीज की रोपाई –
चाय के पौधे तैयार करने के लिए या चाय की रोपाई के लिए उसके बीज के द्वारा भी खेत में लगा सकते है और पुराने चाय के पौधों की कटिंग की कलम से भी चाय के पौधे तैयार कर सकते है| तैयार खेत की भूमि में हल्की नम भूमि में चाय के पौधे को लगा दे |
चाय की पत्ती की तुडाई –
बात करें चाय की पत्ती की तुड़ाई कब करें या कैसे करें इसके लिए जब चाय का पौधे में से नरम कपले निलने के समय, चाय के पोधे मे एकल रूप से या कली बन जाए इस अवस्था में ही चाय की पत्ती तोड़ते है |
वैसे आजकल लेबर की कमी के कारण चाय की पत्ती की तुड़ाई मशीनों से की जाती है| चाय के पौधों से चाय पत्ती साल में तीन चार बार चाय की कटाई की जा सकती है |
चाय की खेती कहाँ होती है ?
चाय का पौधा मुख्य रूप से एशिया का मूल पौधा है, जिसकी जन्म भूमि चीन है| दुनिया में चीन के बाद चाय का सर्वोधिक उत्पादन भारत में होता है भारत में चाय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, असम, अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्य भारत मे चाय उत्पादक राज्य है |
चाय के बागान से बाजार तक चाय का सफर –
चाय उद्धोग क्षेत्र मे कार्यरत फ़ेक्ट्रीया किसानों के चाय के बागानों से पत्तिया संग्रह कर उद्धोगों तक लाती है| इन उद्धोगों मे पत्तियों के साथ विभिन्न शोध क्रियाए कर चाय की पत्ती तैयार कर गुणवता के हिसाब से बाजारों मे सप्लाई की जाती है |
भारत में चाय का उत्पादन ?
- विश्व में कुल चाय का उत्पादन का 27% अकेला भारत करता है |
- देश के लगभग 565 हजार हेक्टेयर भूमि पर चाय के बागान फेले है |
- भारत अपने कुल चाय के उत्पादन का 16% भाग विदेशों मे निर्यात करता है |
- चाय का उत्पादन सबसे ज्यादा चीन में होता है जिसका 2700 वर्ष ईसा पूर्व इसका विकास हुआ था |
- चाय बहुत गुणों के साथ लाभदायक भी होती है यानी चाय पीने के अन्य लाभ भी है |
चाय की खेती किस मिट्टी में होती है?
मिट्टी की बात करें तो हल्की दोमट मिट्टी या इतनी मिट्टी की आवश्यकता होती है| आयरन की मात्रा बनाए रखने के लिए फास्फोरस पोटाश अमोनिया सल्फेट के साथ मिट्टी में गंधक की मात्रा आवश्यक होती है |
सबसे अच्छी चाय कहां उगाई जाती है?
भारत में चाय की खेती के बात करें तो चाय के सबसे सुंदर बागान दार्जिलिंग व असम में देखने को मिलते है| चाय की खेती के लिए 24 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए इसके उत्तम विकास तथा अच्छे ग्रोथ के लिए दोमट मिट्टी या चिकनी मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है – चाय की खेती pdf
चाय की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है?
दुनिया में चीन के बाद चाय का सर्वोधिक उत्पादन भारत में होता है | भारत में चाय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, असम, अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु |
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