Last Updated on March 19, 2024 by krishisahara
बंजर भूमि कैसे बनती है | नवीन परती और बंजर में क्या अंतर है | बंजर भूमि क्या है | बंजर भूमि का उपयोग कैसे किया जा सकता है | बंजर जमीन कैसे खरीदें | बंजर भूमि के प्रकार
उपजाऊपन की द्रष्टि से सबसे व्यर्थ जमीन को बंजर भूमि के रूप में माना जाता है, इस प्रकार की भूमि पर सरकारी लगान, और कृषि उपज काफी कम होती है | इस प्रकार की जमीन ज्यादातर वनचर भूमि के रूप में पाई जाती है | बंजर भूमि में सुखा क्षेत्र जगली घास, झाड़ियां और कम उपज, कुछ वनस्पतियों की विशेषताएं पाई जाती है | बंजर भूमि ज्यादातर पर्यावरणीय घटकों जैसे कि पृथ्वी, वायु, जल और जैविक तत्वों के दोष के कारण बनती/फैलती है |
बंजर भूमि क्या है ?
बंजर भूमि एक ऐसी भूमि होती है, जो खेती और पेड़-पौधों विकास के लिए अधिकारिक रूप से अच्छी नहीं होती है| इस प्रकार भूमि के अंदर अधिकतर सुखा क्षेत्र, पत्थरिली या तेल या खनिज भरे होते है – जिससे इसमें पौधों की विकास की संभावना कम होती है | इसलिए, बंजर भूमि का उपयोग उपजाऊ फसल उत्पादन या अन्य कृषि कार्यों के लिए उत्तम साबित नहीं है |
बंजर भूमि को पुनर्जीवित करने के लिए कई तौर-तरीके/तकनीक उपलब्ध है, जैसे जैविक खेती, भूमि संशोधन तकनीक और हरियाली बचाव तकनीक | इन तकनीकों का उपयोग करके, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने और पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकती है |
बंजर भूमि की मुख्य समस्या क्या है ?
पृथ्वी का उपजाऊ भू-भाग में बढ़ता बंजर भूमि का क्षेत्रफल किसानों और सरकार एवं पर्यावरण के लिए समस्या बनता जा रहा है –
खनिज संपदाओं का अत्यधिक उपयोग – बंजर भूमि में उपलब्ध खनिज संपदाओं को निकालने के लिए उसे खुदाई करने की जरूरत पड़ती है | इसके परिणामस्वरूप, बंजर भूमि में मौजूद पौधों और वनस्पतियों के लिए उपयोगी मिट्टी का नष्ट हो जाती है |
जंगलों का नष्ट होना – बंजर भूमि में अक्सर जंगलों का नष्ट होना भी एक मुख्य समस्या है | जंगलों और अंधाधुन पेड़-पौधों कई कटाई से भूमि का बंजर भूमि में बदलना भी लगातार बढ़ती समस्या बन रही है |
अक्सर सुखा पड़ने वाला क्षेत्र – कम वर्षा क्षेत्र वाले इलाके, सुखा पड़ने वाले क्षेत्रों में इस प्रकार की भूमि का क्षेत्रफल बढ़ रहा है | इन इलाकों में जीव और मानव जीवन दूरियाँ बना रहा है, क्योंकि यहाँ पानी की कमी या अनियंत्रित बारिश के कारण उत्पादकता कम होती है |
जलवायु परिवर्तन – जलवायु परिवर्तन भी बंजर भूमि की मुख्य समस्याओं में से एक है | जलवायु परिवर्तन के कारण, बंजर भूमि में मौजूद पौधों और वनस्पती विकास तेजी से रुक रहा है |
बंजर भूमि सुधार के लिए समाधान ?
सरकार और कृषि व्यवस्था के लिए बंजर भूमि सुधार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि यह हमारी प्रकृति और मानव जीवन दोनों के लिए अहम है | बंजर भूमि की समस्या उन क्षेत्रों में होती है, जहां पौधे नहीं उगते है या जहां पौधों की वृद्धि कम हो जाती है | इस समस्या का समाधान निम्नलिखित तरीकों से देखा जा सकता है-
वन्य जीवों और पेड़-पौधों को संरक्षित रखना :- वन जंगलों एव पेड़-पौधों को सुरक्षित रखने से पौधों की वृद्धि बढ़ती है और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है | इसलिए वन्य जीवन को संरक्षित रखने के लिए जंगलों को संरक्षित करना जरूरी है |
बंजर भूमि में जल संरचना निर्माण :- जल संरचना निर्माण करने से बंजर भूमि की माटी में जल संचयित होता है, जो जीवों के फल-फूलने एवं पौधों के लिए बहुत आवश्यक होता है | इसके लिए जल संरचनाएं जैसे जलाशय, तालाब और नहरें निर्मित की जा सकती है | इस प्रकार के अधिक क्षेत्र वाले इलाकों से नदी-नहरों का कृत्रिम निर्माण बहाव देकर भी बंजर भूमि से समाधान पा सकते है |
बंजर भूमि समाधान में जैविक खेती :- जैविक खेती के तरीकों को अपनाकर भी बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है | जैविक खेती में केवल जैविक खाद उपयोग की जाती है, जो मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाती है | जैविक खेती में पौधों और भूमि के पौषक तत्वों में वृद्धि करता है और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाती है | इसके अलावा, जैविक खेती से जलवायु परिवर्तन कम होता है और भूमि की जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है |
विविधता के संरक्षण :- बंजर भूमि सुधार के लिए विविधता को संरक्षित रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है | विविधता को संरक्षित रखने के लिए, आवश्यकतानुसार जंगलों को बचाए रखना चाहिए और वन्य जीवन को संरक्षित करना चाहिए |
बंजर भूमि कितने प्रकार की होती है ?
व्यर्थ यानि बिना वनस्पति विकास वाली भूमियों को अलग-अलग प्रकार से देखा जा सकता है –
लंबे समय से व्यर्थ पड़ी भूमि – यह भूमि उन भूमियों को कहते है, जो किसी भी रूप से उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होती है | इनमें प्राकृतिक मरुस्थलीय क्षेत्र, रेगुलर लैंडस्केप और सूखे क्षेत्र शामिल होते है |
चरागाह – यह भूमि वह होती है जो भेड़, बकरी और गाय जैसे जानवरों के चराने के लिए उपयुक्त होती है | इसमें घास और जंगली पौधे शामिल होते है | देशभर में ये भूमि सरकारी क्षेत्र के अंतर्गत आती है |
अवांछित भूमि – इस प्रकार की बंजर भूमि में खेती करना संभव नहीं है | इसमें चट्टानी, पत्थरी और गुहाओं के क्षेत्र शामिल होते है |
कम उपजाऊ यानि वेस्टलैंड – यह भूमि उन क्षेत्रों को कहते हैं, जो बहुत समय तक खेती या उपयोग से बची हुई होती है और इनमें कुछ पौधे या जानवरों की भी उपस्थिति हो सकती है |
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- मिट्टी को उपजाऊ कैसे बनाएं
- पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व एवं उनके कार्य
- प्रमुख जैविक उर्वरकों के नाम
बंजर भूमि पर कब्जा के नियम ?
भारत में, बंजर भूमि पर कब्जे के नियम भूमि संरक्षण अधिनियम, 1972 द्वारा निर्धारित किए गए है | इस अधिनियम के तहत, बंजर भूमि को नक्शे पर अलग से रिकॉर्ड किया जाता है | इस तरह के क्षेत्रों का उपयोग सामान्यतः वन्य जीवन संरक्षण, जल संरक्षण और मिट्टी संरक्षण के उद्देश्यों के लिए किया जाता है |
बंजर भूमि पर कब्जे को रोकने के लिए, भूमि संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, कि वे बंजर भूमि के उपयोग की जांच करें और उसे कब्जे से रोकें | यदि किसी व्यक्ति या संस्था ने इस तरह की भूमि पर कब्जा किया हो तो उसे हटाने के लिए कार्रवाई की जाएगी |
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य भूमि में अंतर ?
बंजर भूमि | कृषि योग्य भूमि |
इस प्रकार की जमीनो/भूमियों में पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक मात्रा में मैकेनिकल और रसायन उपजाऊ तत्व नहीं होते है | | कृषि योग्य भूमि वह भूमि होती है, जो पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है| |
बंजर भूमि पर कृषि कार्य नहीं किया जा सकता है | वनस्पति एव जीवों विकास भी काफी प्रभावित रहता है | | इसमें उचित मात्रा में मिट्टी के लिए पोषक तत्व मौजूद होते है, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादकता में सुधार करते है| |
बंजर भूमि में पौधों की वृद्धि को प्रभावित करने वाले कुछ आम कारक है- जैसे मिट्टी की गुणवत्ता, वातावरण की स्थिति, पानी की उपलब्धता, और जीवाणु एवं कीटाणु जैसे कारक| | इसमें पानी एवं ऊर्जा के संबंध में उचित संरचना होती है, जो पौधों के विकास और उत्पादकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| |
वन्य जीवन की उत्पादकता/ बढ़ोतरी बहुत ही कम एव नहीं के बराबर होती है | | जबकि कृषि योग्य भूमि में उत्पादकता काफी अच्छी होती है | |
भारत के किस राज्य में सबसे ज्यादा बंजर भूमि है ?
भारत में सबसे ज्यादा बंजर भूमि राजस्थान राज्य में है | राजस्थान के कुल क्षेत्र का लगभग 61% भूमि को बंजर माना जाता है | यहाँ के मैदानी क्षेत्रों में स्कैंडी वन, टेड़ी जंगल, थोड़े से पेड़ों वाले मैदान आदि होते है, जो बंजर भूमि के उदाहरण है | राजस्थान में उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, नागौर, जयपुर, अजमेर, जालोर, चूरू, बांसवाड़ा आदि जिले बंजर भूमि के अंदर आते है |
बंजर भूमि के विकास के लिए परियोजनाएं ?
बंजर भूमि का विकास बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि इसे संरक्षित-उपजाऊ और फलदायी भूमि में बदलने से पूरे क्षेत्र का विकास होता है | बंजर भूमि के विकास के लिए कुछ मुख्य परियोजनाओं का उल्लेख –
जल संरचनाएं बनाना :- बंजर भूमि में जल का संग्रहण करना और जल संसाधन बहुत जरूरी होता है | इसलिए, जल संरचनाओं का निर्माण, जैसे कि जलाशय, बांध, और नदी बेड संशोधन उपाय आवश्यक है | इससे परिसर की जल संरचना सुधारती है, जिससे खेती की अवस्था सुधारती है और पूरे क्षेत्र के विकास में सहायता मिलती है |
वनों में बढ़ोतरी :- वन बंजर भूमि के लिए एक महत्वपूर्ण लाभदायक होते है, जो प्राकृतिक वातावरण को संतुलित रखते है और मिट्टी का उपजाऊपन बरकरार रखते है | वन विभाग द्वारा चलाई जाने वाली, वन संरक्षण योजनाओं के माध्यम से, जैसे कि वन संवर्धन एवं वन संवेदना योजना, बंजर भूमि में वन संभव है जिससे अन्य संबंधित उत्पादों का उत्पादन होता है |
कृषि गतिविधियों में विकास: – सूखे क्षेत्रों में सरकार कृषि के विकास हेतु नहर, नदी, वर्षा जल संचय, कुआ-नलकूप का विकास कर, बंजर भूमि को उपजाऊपन में बदलने का काम कर रही है | बंजर भूमि के बढ़ते प्रतिशत में रोक से पर्यावरण संतुलन रखा जा रहा है |
बंजर भूमि के लाभ ?
बंजर भूमि के क्षेत्रों में जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों के अभाव में खेती नहीं की जा सकती है | इस तरह की भूमि में फसल नहीं उगती और जनसंख्या के विकास के लिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है | लेकिन बंजर भूमि के कुछ लाभ भी है –
- बंजर भूमि में वनस्पति नहीं होती है, लेकिन उसमें फसल उगाने के लिए विभिन्न तरह की कृषि तकनीकें उपयोग की जा सकती है | इस तरह से बंजर भूमि में भी फसल उगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सरल उपायों में विविधता और अधिकतम उत्पादकता होती है|
- बंजर भूमि के उपयोग से संसाधनों की बचत होती है | यह जल, ऊर्जा, वनस्पति और अन्य संसाधनों की बचत करने में मददगार साबित होता है |
बंजर भूमि में कौन सी खेती होती है?
बंजर भूमि में ज्यादातर खेती करना संभव नहीं है, कुछ फसलों की खेती कम उपज क्षमता के साथ की जा सकती है | जैसे कि मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी, चने, उड़द दाल, मूंगफली, लेमनग्रास और सोयाबीन आदि |
देश में कितने प्रतिशत भूमि बंजर है?
भारत देश में कुल राष्ट्रीय भूमि क्षेत्र में से लगभग 15% को बंजर भूमि के रूप में बांटा गया है |
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