Last Updated on February 21, 2024 by krishisahara
Shahtoot ka ped kaise lagaye | शहतूत का पौधा कैसा होता है | भारत मे शहतूत की खेती कहाँ-कहाँ होती है | शहतूत खाने के फायदे | शहतूत के बीज | Shahtoot ka fal | शहतूत का पौधा कैसे लगाएं
देश में शहतूत को फल, जूस, औषधि, दवाईया, के अलावा व्यापारीक स्तर में प्राकृतिक रेशम के उत्पादन में किया जाता है शहतूत रसीला और खाने में बहुत ही अच्छे स्वाद के लिए जाना जाता है |
देश के किसान शहतूत की खेती की खेती या बागवान लगाके अच्छे आमदनी कर सकते है| इसके अलावा इसका फल एक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, इसलिए शहतूत का पौध घर या खेतों में लगाकर बाजार की मांग पूरी कर सकते है| आइए जानते है – शहतुत के फल, पौधें/पेड़ की पूरी जानकारी –
शहतूत का पौधा कैसा होता है ?
यह एक प्रकार से पीपल के आकार-रंगरूप जैसा सदाबहार पेड़ होता है, जिसकी लंबाई 25 से 50 फीट में पाई जाती है | इसके पेड़ पर जनवरी के समय फल लगने शुरू हो जाते है, फूलों में हरे रंग के फल के बाद पकने की अवस्था में जामुनी-काले रंग के हो जाते है |
रेशम कीट पालन करने वाले किसान और व्यवसायों के लिए शहतूत की खेती की जाती है | शहतूत की खेती ज्यादातर रेशम कीट को खिलाने के लिए की जाती है |
शहतूत का वैज्ञानिक नाम ?
शहतूत का वैज्ञानिक नाम – Mulberry है| देश के कई हिस्सों शहतूत को – हिन्दी में शहतूत, तुतरी, चिनी, रमाकाष्ट, तूल, तूतिकोली, शहतूर, तमिल में कामलीपुछ, नेपाली में कंबु, रेशमी चेटू आदि नामों से जाना जाता है |
शहतूत का पौधा कैसे लगाएं ?
इसका पौधा चाहे घर पर लगना हो या खेत-बागानों में – रोपण गड्ढे को 2x2x2 फीट के आकार में 20-25 दिन पहले ही खोदकर तैयार कर लेना चाहिए | शहतूत का पौधा तैयार करने के लिए आप नर्सरी से भी ल सकते है या फिर बीज भी लगा सकते है| शहतूत का पौधा लगते समय मिट्टी में 5-7 किलो सड़ी हुई जैविक खाद काम में ली जानी चाहिए |
यदि लगाने वाला पौधा पहले से तैयार है तो उसे गड्ढे में अच्छी तरह रखकर, मिट्टी भरकर गड्ढे को समतल कर देते है | मिट्टी भरने के बाद पौधे में पानी पिलाकर छोड़ दे, अगला पानी 2 दिन बाद देते है |
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शहतूत खाने के फायदे ?
यह एक प्रकार का गुणकारी फल है जिसका सेवन करने से शरीर के कई रोंगों का निदान पा सकते है-
- शहतूत के फल खाने से पाचन शक्ति बढ़ाने में बेहद फायदेमंद साबित है |
- इसका फल खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है |
शहतूत उपयोग कहाँ-कहाँ होता है ?
- शहतूत को अच्छी सेहत के लिए जाना-माना जाता है, इसलिए इन्हे पानी में धोकर खा सकते हैं |
- अच्छी क्वालिटी के रेशम उत्पादन के मामले में पूरी तरह शहतूत के पेड़ों को उगाया जाता है |
- प्राकृतिक कच्चे रेशम का उत्पादन शहतूत के बिना संभव नहीं है |
- इसका जूस बनाकर, फ्रूट चाट में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं |
- शहतूत के पेड़ उत्पाद से खेल के सामान, फर्नीचर तथा खिडकियों-दरवाजों के अलावा पत्तियों का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जाता है |
शहतूत पेड़/फल से जुड़ी 5 रोचक बातें –
- शहतूत एक स्वादिष्ट मीठा नाजुक-नर्म फल है इसमें अनेक ऐसे लाभदायक गुण हैं जो कई बीमारियों में वरदान साबित हैं |
- इसके पत्ते रेशम कीड़े के लिए एकमात्र भोजन है |
- शहतूत में पाए जाने वाले रेजवर्टेरोल से मानव शरीर में फैले प्रदूषण को साफ करके संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है |
- शहतूत के पेड़ की पत्तिया, छिलके/छाल और फूल-फल सभी औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते है |
- आंखों की बीमारी और मस्तिष्क/दिमाग को स्वस्थ्य करने का बहुत ही लाभकारी फल है |
देश में शहतूत का उत्पादन ?
देश में रेशम उद्धोगो और फल बाजार को बढ़ाने के लिए सरकारी प्रयास भी पीछे नहीं है, रेशम विभाग हर साल देश के कई स्थानों के किसानों को शहतूत के पौधों का वितरण करता है| उत्पादन की बात करें तो सरकारी प्रयासों के चलते पिछले कुछ सालों में शहतूत का उत्पादन बढ़ने लगा है – शहतूत की नर्सरी
भारत में शहतूत की खेती कहाँ-कहाँ होती है ?
भारत में शहतूत की खेती मुख्य रूप से रेशम का उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में मुख्यत: की जाती है जैसे – कर्नाटक, जम्मू व कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु आदि में की जाती है |
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