Last Updated on February 14, 2024 by krishisahara
शहरों और फूलों की मांग वाले ग्रामीण क्षेत्रों के किसान हो रहे है, मालामाल आप भी करें – बिजली फूल की खेती 2024 | वर्तमान समय की बात करें, तो किसान भाई अधिक मुनाफेदार खेती की और जाना अधिक पसंद कर रहे है| बिजली के फूलों की खेती करना आसान है, क्योंकि लागत व मेहनत कम और नगद लाभ अधिक मिलता है| आइए जानते है, बिजली फूल की खेती कब और कैसें करनी चाहिए –
इस आर्टिकल में आपको बिजली फूल की खेती से संबधित सम्पूर्ण जानकारी देखने को मिलेगी, जैसे की बिजली के फूल की खेती कब की जाती है? बिजली फूल की खेती के लिए जलवायु मिट्टी? इस खेती मे देखरेख और सावधानियाँ? बिजली फूल की कीमत बाजार भाव? बिजली के फूल क्या होते है –
बिजली के फूल क्या होते है?
बिजली के फूल का वैज्ञानिक नाम एकमेला ओलेरासिया है| इस फूल को बर्रो डेल पेरा तथा दांतों के पौधे के नाम से भी जाना जाता है| बिजली के फूल की 20 से ज्यादा प्रजातियों पाई जाती है, जिसमें भारत में सफेद, लाल, पीला, नीला रंग के फूल सर्वोधिक प्रचलन/मांग में होते है| देश के नदी के तटों के आस-पास बसे क्षेत्रों में इस फूल की सर्वोधिक पैदावार ली जाती है| देश मे सबसे ज्यादा डिमांड वाले फूलों में गुलाब, गेंदा, बिजली फूल, मोगरा, चमेली, रजनीगंधा, कनेर, सदाबहार, गुड़हल आदि शमिल है|
बिजली फूल कैसे दिखते है?
बिजली फूल काफी आकर्षित और गोल अधिक कलियों में फेला हुआ अतिसुंदर दिखाई देते है| इसकी सुंदरता के कारण इसकी मांग बाजार में अधिक है, इसका भाव भी सालभर अच्छा बना रहता है| इसका ज्यादा बिकने वाले फूल का रंग एकदम तेज सफेद होता है, और मध्य में हल्का सा पीला रंग में होता है|
बिजली के फूल की खेती कब की जाती है?
बिजली के फूल की खेती ज्यादातर ठंड के मौसम में की जाती है, भारत देश में बिजली के फूल की खेती बड़े शहरी क्षेत्रों के आस-पास ज्यादातर की जाती है| भारतीय किसान बिजली के फूल की बुआई अक्टूबर से नवंबर के मध्य करते है| यह एक ऐसा पौधा है, जिसे सूर्य के संपर्क में रहने की आवश्यकता होती है| आपके क्षेत्र में यदि तापमान ज्यादा है तो इससे पौधे को नुकसान पहुंच सकता है|
ऑफ सीजन में बिजली फूल की खेती करने वाले किसान ग्रीनहाउस/पॉलीहाउस के सहारे भी करते है|
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बिजली के फूल की खेती कैसें करें?
- बिजली के फूल की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले पुरानी फसल अवशेष को हटा लेना है|
- फिर आपको खेत जुताई से पहले मिट्टी की जांच करवा लेनी चाहिए|
- मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के मध्य में होना चाहिए|
- फूलों की खेती के लिए आपको अपने खेत में अधिक मात्रा में ऑर्गेनिक खाद डालनी चाहिए|
- तैयार खेत में क्यारी विधि से बिजली के फूल बीज की बुआई कर देनी है|
- इसके बाद आपको प्रत्येक सप्ताह सिंचाई, खाद-उर्वरक और निराई-गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधन समय-समय पर विशेष ध्यान से रखना चाहिए|
बिजली फूल की खेती के लिए जलवायु मिट्टी?
इसकी उन्नत खेती के लिए जीवाश्मयुक्त पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति कमी के समय जैविक खाद से कर सकते है| नियमित सिंचाई के साथ मिट्टी जलधारण क्षमता रखती हो| इसकी खेती हमारे भारत देश में ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है|
बिजली फूल की खेती करने के क्या फायदे?
- बिजली के फूल की खेती करने का सबसे बढ़ा फायदा, कम समय में फूल तैयार हो जाते है|
- अच्छे बाजार के नजदीक खेती से होने वाली कमाई की तुलना में लागत तथा मेहनत कम लगती है|
- इसकी फसल में कीट-रोग लगने की समस्या काफी कम होती है|
- भारतीय बाजार में इस फूल की मांग वर्षभर अच्छी होने के कारण, इसका भाव तेज रहता है|
इस खेती मे देखरेख और सावधानियाँ?
किसी भी प्रकार की खेती हो, बिना अच्छी देखरेख और सावधानियों के अच्छी उपज लेना सभव नहीं है –
- अच्छे उपजाऊ खेत का चयन करें, बीज बुवाई से पहले 3 से 4 गहरी जुताई कराए|
- प्रत्येक सप्ताह सिंचाई करें, धूप के समय सिंचाई करने से बचे|
- बुवाई के 20 से 25 दिन बाद निराई-गुड़ाई, और हर दो सप्ताह के अंतराल में खरपतवार प्रबंधन करें|
- आमतौर पर इसकी खेती में रोग-कीट की समस्या नही रहती है, प्रभाव दिखने पर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव कर सकते है|
- फूलों की तुड़ाई समय पर करें, देरी से या अधिक अंतराल से तुड़ाई पर पैदावार में कमी आ सकती है|
बिजली फूल की कीमत बाजार भाव?
बाजार भाव की बात करें तो, सीजन/त्योहारिक उत्सव के अनुसार ऊपर-नीचे होता रहता है, परंतु इसका औसत भाव कम से कम 150 रुपए से 300 रुपए प्रति किलो के बीच भावों में देखा जाता है|
बिजली फूल की खेती से कमाई?
इन अच्छी डिमांड वाले फूलों की उन्नत खेती करते है, तो 3 से 4 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक की कमाई हो सकती है| वैसे- खेती से कमाई कई कारकों /परिस्थतियों पर निर्भर रहती है|
ज्यादातर बिजली फूलों की खेती कहां की जाती है?
विदेशों में बात करें तो, ब्राजील, पेरू, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया | भारत में इसकी खेती की ज्यादातर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, श्रीनगर, बिहार, झारखंड, राजस्थान आदि प्रदेशों में की जाती है|
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