Last Updated on April 14, 2024 by krishisahara
गेहूं का रस्ट रोग किसके द्वारा होता है | गेहूं के रोग pdf | गेहूं में लगने वाले कीट | गेहूं के रोग और उपाय | गेहूं की फसल में लगने वाले रोग
उत्तरी भारत में रबी सीजन में सर्वोधिक उगाई जाने वाली फसलों में गेहूं की फसल को माना गया है | गेहूं की खेती को उन्नत तरीकों से करके अच्छी पैदावार ले सकते है, इसके लिए जरूरी है, अच्छी देखरेख और कीट-रोग का उपाय प्रबंधन | गेहूं की फसल में किसी प्रकार का रोग के लक्षण दिखे, तो समय पर नियंत्रण करें अन्यथा फसल को काफी नुकसान भुगतना पड़ता है|
गेहूं की फसल में लगने वाले रोग 2024 ?
रबी सीजन की इस फसल में कई प्रकार के रोंग-कीट किसान भाइयों को देखने को मिलते है, जिनके बारें में हर एक गेहूं की खेती करने वाले किसान को जानकारी होनी चाहिए – गेहूं में लगाने वाले रोग निम्न प्रकार है –
गेहूं की फसल में पीला रोग –
इस रोग के शुरुआती लक्षण, पौधे की पत्तियां का रंग पीला होने लगता है | पत्तियों को हाथ लगाने से हाथो पर पीला पाउडर जमा हो जाता है| यह रोग पौधे के शुरुआती वृद्धि/ग्रोथ के समय देखने को मिलता है| यह रोग लगने से गेहूं के पौधे का ग्रोथ धीमी/विकास पूरी तरह से रुक जाता है|
रोकथाम – गेहूं की फसल को पीला रोग से बचाव के लिए पौधे पर प्रोपिकोनाजोल की 500 ml मात्रा को पानी में मिलाकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव कर सकते है |
गेहूं का रस्ट रोग –
फसल में इस रोग के होने पर पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है, और धीरे-धीरे कमजोर पत्तियां गिरने लग जाती है| यह रोग 50 से 70% गेहूं की फसल को नष्ट कर सकता है| रस्ट रोग में काला, पीला और सफेद रंग का पाउडर देखा जा सकता है |
रोकथाम – रस्ट रोग को नियंत्रण में प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी, मैंकोजेब 75%, जिरम 80%, थेयोफनेट मिथाइल 70%, जिनेब 75% में घोल कर छिड़काव विधि से फसल में दे सकते है |
गेहूं फसल में झुलसा या लीफ ब्लाईट रोग –
यह रोग गेहूं की फसल में ज्यादातर देखने को मिलता है, पौधे के सम्पूर्ण भागों में इसके लक्षण देखें जाते है | यह रोग बाइपोलेरियस सोरोकिनियाना नामक कवक कारण फैलता है | शुरूआत में यह रोग भूरे रंग के नाव आकार के छोटे धब्बे के रूप में देखने को मिलता है, अधिक प्रभावित फसल धीरे-धीरे सिकुड़ने लगती है |
रोकथाम – किसान भाइयों, गेहूं में झुलसा रोग के बचाव के लिए 250 ml मैकोजेब को पानी में मिलाकर प्रति हेक्टर 15 दिनों के अंतराल पर 3 से 4 बार अच्छे से छिड़काव करें |
गेहूं में चूर्णिल आसिता या पौदरी मिल्ड्यू रोग –
गेहूं फसल में यह रोग इरिसिफी ग्रेमनिस ट्रीटीसाई नामक कवक से फैलता है| इस रोग को चूर्ण फफूद के नाम से भी जाना जाता है| शुरआत में यह रोग होने पर पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पाउडर धब्बे के रूप में दिखाई देते है | कुछ समय के बाद पत्तियां पीली होकर और फिर सुखकर नीचे गिर जाती है|
रोकथाम – इस रोग के रोकथाम के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी की 500 ml की दर सें पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव कर सकते है|
गेहूं का करनाल बंट रोग –
यह रोग बीज जनित रोग माना गया है, इस रोग का प्रभाव पौधे में बाली बनने के समय अधिक दिखाई देता है| इस रोग के कारण गेहूं के दाने काले पाउडर के रूप में बदलने लगते है|
रोकथाम – किसान भाई, प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी की 500 ml दवाई को पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या फिर गेहूं बीज बुवाई के समय गेहूं की अच्छी किस्मों का चयन करें |
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गेहूं की पत्तियों का पीलापन –
इस रोग के कारण पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारी दिखाई देती है| यह धारी धीरे-धीरे पूरी पत्तियों में फैल जाती है| यह रोग फसल के मध्यवस्था के समय ज्यादा देखने को मिलता है |
रोकथाम – गेहूं फसल का पीलापन रोकने के लिए पायरक्लोट्ररोबिन 200 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से 10 दिनों के अंतराल में छिड़काव कर सकते है |
गेहूं का खुला कंडुआ या लूज स्मट पर्ण –
यह रोग बिना उपचारित बीजों वाली फसल मे ज्यादातर देखने को मिलता है | यह मुख्यतः कवक अस्टीलेगो सेजेटम के कारण बीज के भरण भाग में छिपा रहता है| इस रोग की वजह से पौधों की बालियो में दाने की जगह रोग जनक के रोगकंड काले पाउडर के रूप में पाए जाते है|
रोकथाम – लक्षण के दिखाई देने पर, रोग ग्रस्त पौधे को जड़ सहित उखाड़ देना है| बीज बुवाई के समय बीजों को कार्बोक्सिन 75 डब्लू पी 1.5 ग्राम या फिर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू पी 1.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार कर बुआई करनी चाहिए |
गेहूं में ध्वज कंड या फ्लैग समट रोग –
गेहू फसल के इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां अधिक लंबी, मुड़ी हुई दिखाई देती है | जो की बाद में कवक बीजाणु के बनने से काली होकर टूट जाती है, इसके कारण पौधे में बालिया नही बन पाती है|
रोकथाम – गेहूं फसल को ध्वज कंड या फ्लैग समट रोग से बचाव के लिए 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से कार्बोक्सिन या कार्बेन्डाजिम से बीज उपचार कर लेना है|
गेहूं की फसल में कवक द्वारा कौनसा रोग फैलता है ?
गेहूं की फसल में कवक जनित रोग मुख्यतः लीफ ब्लाईट गेहूं रोग, चूर्णिल आसिता, खुला कंडुआ और ध्वज कंड आदि में इसके लक्षण देखने को मिलते है |
गेहूं फसल में फुटाव नहीं होना?
फसल में पौध का अच्छा फुटाव कई प्रकार के कारणों से हो सकता है, जैसे की बिना उपचारित बीज, बीज वैरायटी, भूमि की उपजाऊपन, सिंचाई, फसल रोगग्रस्थ होना, कच्चा गोबर खाद का डालना आदि के कारण फसलों मे फुटाव रुक जाता है |
गेहूं की फसल खराब होने के क्या कारण होते है?
कोई भी फसल खराब तब होती है, जब रोग का लगना, जलवायु परिवर्तन, अधिक वर्षा, बाढ़, अधिक सर्दी/पाला, तापमान का बढ़ना आदि के कारण उत्पादन को लेकर किसान को काफी नुकसान पहुच सकता है |
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