Last Updated on February 21, 2024 by krishisahara
हाइड्रोपोनिक खेती प्रशिक्षण | हाइड्रोपोनिक खेती के पोषक तत्व | हाइड्रोपोनिक खेती के फायदे व नुकसान | हाइड्रोपोनिक में बीज कैसे लगाएं | हाइड्रोपोनिक खेती पीडीएफ | हाइड्रोपोनिक टमाटर की खेती | हाइड्रोपोनिक्स खेती कैसे करें
हाइड्रोपोनिक तकनीक से शुरू करें बिना मिट्टी की खेती – भारत के विदेशी कृषि समझौते देश के किसानो को कई प्रकार की तकनीकी का ज्ञान करा रहा है| देश में सरकारी प्रचार प्रसार के कारण Hydroponic Farming के कई रुझान आने शुरू हो चुके है – कई किसान इसकी ट्रेनिग लेकर यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू में इस प्रकार की खेती कर रहे है|
तो आइये जानते है हाइड्रोपोनिक्स खेती क्या है, कैसे करें, ट्रेनिंग व लाभ से जुडी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में –
हाइड्रोपोनिक खेती तकनीक क्या है?
यहाँ किसान को फसल के लिए सिंचाई के लिए रोजाना अधिक पानी और भूमि की जरूरत खत्म हो जाती है| इस खेती में फसलो को उगाने और पैदावार लेने का एक आधुनिक तरीका है, जिसमे बिना मिट्टी और जलवायु की कंट्रोल में करके खेती की जाती है| यह हाइड्रोपोनिक खेती केवल पानी या पानी के साथ छोटे कप जितनी मात्रा की कंकड़, कोकपिट के सहारे जाती है| आस-पास लगभग 15 से 30 डिग्री तापमान और 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता में हाइड्रोपोनिक खेती की जाती है|
हाइड्रोपोनिक्स खेती कैसे करें?
सरकार और प्रगतिशील किसान इसमें आगे आ रहे है, किसान को यह खेती करने के लिए इसकी मानक ट्रेनिग/प्रशिक्षण लेना चाहिए, जो हर कृषि विज्ञानं केंद्र पर होता है| शुरुआत में इस तकनीक की खेती में अधिक लागत आती है लेकिन इस प्रोजेक्ट से कई प्रकार की फसले लम्बे समय तक ले सकते है| इस खेती में हमेशा बिजली उर्जा, पौधो के लिए पोषक तत्व, पाइप सिस्टम का एकदम ठीक होना जैसे आवश्यकताये होती है| किसान से निवेदन है प्रशिक्षण के बाद ही इस तकनीक से खेती करना शुरू करें|
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हाइड्रोपोनिक प्लांट कैसे तैयार करें ?
पौधे उगाने के लिए निर्भर करता है की किसान किस फसल या चारे आदि के लिए नर्सरी तैयार करना चाहता है – हाइड्रोपोनिक प्लांट कैसे तैयार करें इसको हम दो तरीको से समझ सकते है –
सब्जी फसलों की पौध | हरे चारे हेतु हाइड्रोपोनिक पौध |
बीजों को सीड्स ट्रे कप में तैयार किया जाता है, कप में कोकपिट एवं पोषण युक्त पानी दिया जाता है | पौधा 1 सप्ताह का हो जाता है उसे हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम में लगा दिया जाता है| हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली में ज्यादातर टमाटर, मिर्च, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, खीरे, पालक, बैंगन, शिमला मिर्च, करेला आदि सब्जियों का उत्पादन किया जा सकता है| पौधों को पोषक तत्व मे कार्बनिक खाद, रासायनिक उर्वरक और कृत्रिम विधि द्वारा तैयार किये गए पोषक तत्व दिए जाते है| इस प्रकार संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाया जाता है और फसल से पैदावार ली जाती है| | चारा हेतु पौध को कई समतल ट्रे को ओटोमेटिक स्प्रे सिंचाई सिस्टम के निचे तैयार की जाती है| बीजों को ट्रे पर सामान रूप से फैलाकर कपड़े से ढककर अंकुरित किया जाता है| दूसरे दिन से बीज अंकुरित होने शुरू हो जाते है| तीसरा और चौथा दिन जड़ों का एक गुथा हुआ जाल बनना शुरू हो जाता है| पांचवा-छठा दिन से जड़ों एवं तने की पूर्ण वृद्धि होने लगती है| अब किसान चारे की वृद्धि के अनुसार निकलकर पशुओं को खिलाया जा सकता है| हरे चारे हेतु हाइड्रोपोनिक्स पाइप सिस्टम की आवश्यकता नही पड़ती है, सिंचाई के लिए छिडकाव/फवारा सिस्टम से हो सकती है| |
हाइड्रोपोनिक खेती के पोषक तत्व ?
सामान्य खेती के लिए मिट्टी कारक से पौधा पोषक तत्वों को ग्रहण करता है, लेकिन Hydroponics Farming पद्धति में जल बहाव में पोषक तत्व देने पड़ते है जो सब तरल रूप में होते है| इसके लिए फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्निशियम, कैलशियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन जैसे पोषक तत्वों तथा खनिज प्रदार्थो को एक उचित मात्रा में मिलाकर पौधो की जड़ों में दिया जाता है |
हाइड्रोपोनिक खेती में लगने वाली लागत ?
इस नवींन तकनीक से खेती करने के लिए शुरूआती साल अधिक लागत आती है, लेकिन किसान महंगी बिकने वाली फसलों की खेती कर अधिक लाभ कमा सकते है | एक एकड़ के क्षेत्र में होने वाले खर्च की बात करे तो हाइड्रोपोनिक लगभग 50 लाख रूपए का खर्च होगा |
यदि आप घर पर हाइड्रोपोनिक खेती सिस्टम लगाना चाहते है तो 100 वर्ग फुट के क्षेत्र में लगभग 50,000 से 60,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है | इस क्षेत्र में लगभग 200-300 पौधे लगाये जा सकते है|
हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ?
- इस तकनीक का इस्तेमाल कर आप घर के कम क्षेत्र में सब्जी और महंगी फसले लगा सकते है|
- पौधो के पास होने वाली अनावश्यक खरपतवार से बचा जा सकता है |
- सामान्य खेती के मुकाबले लगभग इसमें 90% पानी की बचत होती है |
- भूमि का सरक्षण किया जा सकता है|
- सिंचाई पानी की ज्यादा मात्रा को बचाया जा सकता है|
- हाइड्रोपोनिक खेती का इस्तेमाल कर कम जगह में अधिक पौधों को उगाया जा सकता है |
- यह खेती किट से मुक्त खेती मानी जा सकती है|
- समय की बचत और कम श्रम लागत आती है |
- इस विधि द्वारा पोषक तत्व बिना किसी व्यर्थ के आसानी से पौधों में पहुंचाए जा सकते है|
- पैदा होने वाली फसल भी अच्छी गुणवत्ता वाली होती है |
- छोटी जगह में अच्छे तरीको की खेती करना सम्भव होता है|
हाइड्रोपोनिक खेती के नुकसान ?
- बड़े शहरो, महानगर के आस-पास यह खेती सम्भव मानी जाती है|
- कृषि की उच्च तकनीक का ज्ञान होना जरुरी होता है|
- सामान्य फसलों के मुकाबले महंगी फसले लगाना ज्यादा फायदेमंद होता है|
- शुरूआती लागत अधिक होने के कारण सामान्य किसान इसे लगाना थोडा मुश्किल मानता है|
- केवल बड़े शहरो में घर पर हाइड्रोपोनिक खेती करके कम मांग की ही पूर्ति कर सकती है|
हाइड्रोपोनिक खेती पीडीएफ?
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी – हाइड्रोपोनिक खेती पीडीएफ 2024
हाइड्रोपोनिक खेती किसे कहते है?
बिना मिट्टी, केवल पोषण युक्त सिंचाई पानी के सहारे फसलें उपजाई जाती है | यह हाइड्रोपोनिक खेती केवल पानी या पानी के साथ छोटे कप जितनी मात्रा की कंकड़, कोकपिट के सहारे जाती है |
बिना मिट्टी की खेती कैसे करें?
इस तकनीक में हाइड्रोपोनिक पाइप सिस्टम होता है, जिसमे कई छोटे छेदों में पौधे लगाए जाते है | पौधे की जड़े पाइप के अंदर पोषक तत्व युक्त पानी में डूबी रहती है | देश में वर्तमान में शिमला मिर्च, मटर, मिर्च, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, ककड़ी, आलू आदि सब्जी और चारा फसलें लगाई जाती है|
घर पर हाइड्रोपोनिक खेती?
घर पर ताज़ा सब्जी फसलें लगाने का यह तरीका बड़े-बड़े शहरों और महानगरों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है| इसके लिए कई प्राइवेट संस्था और कृषि विज्ञानं केंद्र है जो प्रशिक्षण देकर हाइड्रोपोनिक Farming को बढ़ावा दे रहे है|
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