Last Updated on February 21, 2024 by krishisahara
जिप्सम खाद क्या होता है | जिप्सम खाद कहां मिलेगा | प्रति एकड़ कितना जिप्सम | जिप्सम की कीमत | gypsum khad price | जिप्सम खाद का रेट 2024 | जिप्सम क्या भाव मिलता है | जिप्सम के उपयोग
इस उर्वरक के बारे में जानकारी और पता बहुत ही कम किसानों को होता है, इसकी विशेषता है की सबसे सस्ती और काम सबसे ज्यादा है| लगातार रासायनिक खाद और खारे सिंचाई पानी वाले किसानों के खेतों में मिट्टी अम्लीय हो जाती है | अम्लीय भूमि में कोई भी खाद उर्वरक डालने पर फसलों पर कोई असर नहीं होता है, इस समस्या का रामबाण इलाज माना गया है – जिप्सम खाद
इस प्रकार के लक्षणों वाली भूमि में सबसे पहले आपको मृदा परीक्षण कराना होगा और इस प्रॉब्लम का 95% जिप्सम खाद की कमी ही कारण होता है |
जिप्सम खाद क्या है ?
कृषि क्षेत्र में जिप्सम खाद एक सल्फर और कैल्शियम का मिक्स रूप है, जिसमें सल्फर 18.5% और कैल्शियम 23.3% होती है | फसलों में पोषक तत्वों में चौथा सबसे बड़ा पोषक तत्व सल्फर को माना गया है, जो हमे इसमे सस्ते दामों में मिल जाता है |
रसायनिक खादों के ज्यादा प्रयोग करने के बाद भूमि निष्क्रिय हो जाती है, और उसके बाद वापस भूमि की उपजाऊपन लाने के लिए जिप्सम उर्वरक को काम में लिया जाता है |
जिप्सम उर्वरक के फायदे – जिप्सम क्यों डालें ?
- जिप्सम खाद से मृदा में पोषक तत्वों जैसे – नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम तथा सल्फर की उपलब्धता में सक्रियता आ जाती है |
- ज्यादातर फसलों में कैल्शियम और सल्फर की आवश्यकता होती है, जिनकी पूर्ति ये आसानी से कर देता है |
- फसलों-पौधों की जड़ों में औसत हो वाली वृध्दि एवं विकास में सहायता देता है |
- इसमें सल्फर उचित मात्रा में होती है, इसलिए फसल संरक्षण में भी भारी सहायक होता है |
- दलहनी-तिलहनी और विशेष गन्ध फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है |
- जिप्सम खाद से खेतों की मिट्टी हल्की बनती है और भूमि में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है, फसलों की जड़े काफी स्वस्थ रहती है |
- उर्वरक का यह रूप मिट्टी को कठोर परत बनने को रोकता है तथा मृदा में जल प्रवेश को बढ़ाता है |
- कैल्शियम की कमी के कारण फसले पीली पड़ना, पत्तियों के किनारे सफेद होना, पौधों का सुकुड़ना, ज्यादा कमी की स्थिति में पौधों की वृद्धि रुकना शुरू हो जाती है, जो कि जिप्सम ड़ालने से पूरी की जा सकती है |
- क्षारीय भूमियों को उपजाऊ बनाने में जिप्सम एक महत्वपूर्ण काम करता है |
- फसलों में अधिक उपज तथा उनकी गुणवत्ता सुधारने के लिए भी किया जाता है |
जिप्सम खाद का रेट ?
फसलों को अनेक रूपों में फायदेमंद यह खाद काफी सस्ती दरों में किसानों को आसानी से मिल जाती है | कीमत की बात करें, तो 300 रुपये से लेकर 500 रुपये प्रति 50 kg बेग के रूप में मिलती है | यह खाद हर क्षेत्र में अलग-अलग रेट में मिलती है, लेकिन समान्यतः 6 से 10 रुपये प्रति किलोग्राम रेट के आस-पास ही मिलती है |
प्रति एकड़ कितना जिप्सम ?
जिप्सम की मात्रा निर्धारित करने के लिए मृदा परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार प्रति एकड़ जिप्सम की मात्रा लगती है | वैसे आपको इस दिए गए लेख में लक्षण और जिप्सम की कमी के अनुसार आप सामान्य रूप से 100 किलोग्राम प्रति एकड़ जिप्सम का उपयोग कर सकते है | यदि लक्षण कम या ज्यादा है तो इसमें 50 किलोग्राम ऊपर नीचे और मात्रा जोड़ सकते है या घटा सकते है |
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जिप्सम को कब और कैसे डालें ?
जिप्सम को खाद के रूप में प्रयोग फसलों की बुवाई से पहले करते है| जिप्सम डालने से पहले खेत को अच्छे से 2-3 गहरी जुताई एवं पाटा लगाकर 30-32 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में जिप्सम का बुरकाव करना चाहिए | बुरकाव के बाद में एक हल्की जुताई उचित मानी जाती है, जिससे खाद मिट्टी के साथ मिल जाए |
क्षारीय-भूमि में जिप्सम को बार-बार मिलाने की आवश्यकता नहीं होती है | यह पाया गया है कि यदि धान की फसल को क्षारीय भूमि में लगातार उगाते रहें तो भूमि के क्षारीयपन में कमी आती है| खेतों को भी लम्बी अवधि के लिए खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
खेत में जिप्सम उर्वरक का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि मौसम का तापमान 30-32 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो यानी कि धूप में खाद का छिड़काव करना सबसे उचित माना गया है |
जिप्सम के उपयोग में प्रमुख सावधानीयां ?
- किसान भाइयों उचित यही रहेगा की मिट्टी की जाँच के बाद इस खाद का प्रयोग और जिप्सम की उचित मात्रा डालें |
- जिप्सम डालने से पहले अगर खाद के बेग में ढेले है, तो इन्हे सही करें|
- पूरे खेत में समान रूप से जिप्सम का बुरकाव करें |
- क्षारीय भूमि सुधार हेतु उत्तम समय गर्मी के महीनों में होता है- तेज हवा चलने पर जिप्सम का बुरकाव न करें |
- जिप्सम की आवश्यक मात्रा को फसल लगाने से 10-15 दिन या अधिकतम 1 महिना पहले डालना चाहिए |
- खेत में जिप्सम डालने के तुरन्त बाद कल्टीवेटर या देशी हल से भूमि की ऊपरी 8-12 सेमी की सतह में मिलाकर- मृदा में अधिक गहराई तक नहीं मिलाना चाहिए |
भूमि में जिप्सम की कमी के लक्षण ?
किसान फसल के विकास और वृद्धि के लिए नत्रजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम का उपयोग करते है | ज्यादातर कैल्शियम एवं सल्फर का उपयोग नहीं करते है, जिससे भूमि में इन तत्वों की कमी की समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप बजर और निष्क्रिय होती जाती है |
- खेतों की मिट्टियों का उपजाऊपण खत्म होने लगता है, रसायनिक खाद काम नहीं करती है |
- दिनों-दिन मिट्टी कठोर होती जाती है बरसात या सिंचाई का पानी ज्यादा समय तक भरा रहता है या सूखता नहीं है |
- खेत में पानी सोखने की क्षमता दिनों दिन कम हो जाती है और जब पानी सूख जाता है तो मिट्टी में दरारे पड़ जाती है जैसे तालाब या जलभराव वाले क्षेत्रों में देखने को मिलती है |
- इस उर्वरक का उपयोग किसान भाई दलहन, तिलहन, धान, सब्जियों, कंद वर्ग की प्याज, लहसुन, मूली, आलू आदि फसलों में प्रयोग कर सकते है |
– जिप्सम खाद की ताजा उपडेट 2024
जिप्सम कहां मिलेगा?
किसान जिप्सम कहाँ से प्राप्त कर सकता है- अपने नजदीक के कृषि ब्लॉक कार्यालय या जिला कृषि अधिकारी कार्यालय से भी प्राप्त किया जा सकता है| निजी क्षेत्र में कार्यरत विश्वासपूर्ण कृषि खाद-बीज केंद्र से भी खरीद सकते है |
जिप्सम की कीमत कितनी है?
सरकार हर साल किसानों को खाद/उर्वरको पर करोड़ो रूपये की सब्सिडी अनुदान देती है, वर्तमान में जिप्सम की कीमत 120 रुपये क्विंटल के आस-पास मिल रहा है| लेकिन बिना सब्सिडी के कम्पनिया जिप्सम का रेट 480 प्रति कुंतल तय कर रखी है |
जिप्सम का उपयोग कैसे करें?
क्षारीय भूमि सुधार हेतु उत्तम समय गर्मी के महीनों में होता है – तेज हवा चलने पर जिप्सम का बुरकाव न करें| फसल लगाने से 10-15 दिन या अधिकतम 1 महिना पहले डालना चाहिए |
खेत में जिप्सम डालने के तुरन्त बाद कल्टीवेटर या देशी हल से भूमि की ऊपरी 8-12 सेमी की सतह में मिलाकर- मृदा में अधिक गहराई तक नहीं मिलाना चाहिए |
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