Last Updated on February 26, 2024 by krishisahara
रबड़ की खेती कैसे करें | रबड़ के पेड़ कैसे होते है | कौन से पेड़ से रबड़ बनता है | रबड़ की खेती के लिए कैसी जलवायु चाहिए | रबर का पेड़ कितने समय तक रहता है | रबर के पेड़ कहां उगाए जाते है | Natural Rubber farming
भारत में रबर की खेती के लिए माना जाता है – साल 1876 सर हेनरी विलियम ने ब्राजील से रबर के पेड का बीज भारत में लेकर आये थे| यह एक प्रकार का विशेष पेड़ होता है, जिससे “लेटेक्स” द्रव प्रदार्थ निकाला जाता है और इसी से रबर तैयार किया जाता है| “लेटेक्स” द्रव जिसे अपन रबर बनाने वाला दूध भी कह सकते है |
रबर पेड के “लेटेक्स” द्रव से साईकिल के टायर से लेकर- मशीनरी सील्स, गेस्केट, पाइप, इंसुलेटर दस्ताने, रेफ्रिजरेटर, गेंद, इलेक्ट्रिक उपकरणों और प्लास्टिक, स्प्रे फोम आदि बहुमूल्य समान बनाने में किया जाता है |
रबड़ की खेती कैसे करें?
यह खेती लम्बे समय बाद मुनाफा देने के लिए तैयार होती है| रबर के पौधे लगाने के लगभग 5 साल बाद “लेटेक्स” कच्चा रबर रस निकाले के लायक तैयार होता है | यदि आप भी रबड़ की खेती करना चाहते है, तो इस लेख में आपको रबड़ की खेती कहाँ और कैसे होती है, रबड़ का पेड़ कैसा होता है, तथा रबड़ कैसे बनता है इसकी जानकारी से अवगत करा रहे है |
रबड़ कौन से पेड़ से बनती है ?
बता दे की हैविया ब्राजीलिएन्सिस (Havea Brasiliensis) नामक नाम से वानस्पतिक पेड होता है, जिससे “लेटेक्स” द्रव निकालकर उसी से रबर बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है | इस पेड़ की खेती भारत के दक्षिणी राज्यों में अच्छे क्षेत्र में की जाती है और रब्बर तैयार की जाती है| वैसे दुनिया भर में 2500 से भी अधिक प्रजाति के पेड़ है, जिनसे लेटेक्स द्रव प्राप्त कर सकते है |
रबड़ की खेती के लिए कैसी जलवायु चाहिए?
रबड़ की खेती के लिए गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों और लेटेराइट, लाल, दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है| रबर के पौधे उष्ण आद्र जलवायु में अधिक तेजी से वृद्धि और सामान्य दिनों में 21 से 35 डिग्री का तापमान उचित होता है |
रबड़ की खेती की मांग ?
पिछले कुछ सालों से देश में रबड़ की खेती का रकबा दिनों दिन घटता जा रहा है, जो 2010 से 2015 की तुलना में आधी ही रह गई है| बता दे की भारत में टायर उद्धोग और रबर उद्धोग में 35 से ज्यादा टायर कम्पनियां और 60 यूनिट के लगभग प्लान्ट लगे हुए| घरेलू पैदावार कम होने के कारण रबर का कच्चा माल विदेशों से मंगवाना पड़ रहा है |
रबड़ कितने प्रकार की होती है?
सामान्य तौर पर रबड़ को दो श्रेणियों में बांटा गया है –
- नेचुरल रबड़ या इंडिया रबड़
- सिंथेटिक रबड़
सिंथेटिक रबड़ कई तरह की होती है, जो निम्न है –
रबड़ के प्रकार – Rubber Type | विशेषताए और विवरण |
नाइट्राइल ब्यूटाडीन रबड़ | यह एक oil प्रतिरोधक सिंथेटिक रबड़ होता है, जिसे नाइट्राइल कहते है, आयल से सीधा सम्पर्क बनाने वाली मेटेरियल बनाने में किया जाता है – जैसे आयल पाइप, होस पाइप | |
एथिलीन प्रोपलीन डायने मोनोमर | इस सिंथेटिक रबड़ को Ethylene, Propylene, Diene के Comonomer से क्रॉसलिंकिंग करके बनाया जाता है, यह आयल सील्स में उपयोग होता है | |
स्टाइरीन ब्यूटाडीन रबड़ | यह एक सिंथेटिक रबड़ सर्वाधिक काम में आने वाले रबर में आता है – जिसे ब्यूटाडीन के मोनोमर से तैयार किया जाता है| इस रबड़ को मुख्य रूप से टायर और टायर बनाने वाले उत्पादों में इस्तेमाल करते है | |
नियोप्रीन रबड़ | नियोप्रीन रबड़ को Poly-chloroprene रबड़ भी कहा जाता है, जिसे Chloroprene के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है| |
सिलिकॉन रबड़ | यह रबर भी अपने विशेष गुणों के कारण जाना और माना जाता है – यह 44 डिग्री से लेकर 300 डिग्री तापमान सह सकता है और अपने गुण पर बना रहता है| इस खास गुण के कारण इसे वाहनों में, हाई वोल्टेज इंसुलेटर, मेडिकल उपकरण के अलावा बेकिंग और खाद पदार्थो का भण्डारण कार्यों के लिए उपयोग में लिया जाता है| |
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रबड़ का पेड़ कैसा होता है ?
इसके पेड़ लम्बे और सीधे जिनकी अधितम 100 फ़ीट तक की ऊंचाई हो सकती है| यह एक सदाबहार पेड़ है जिसकी 60 वर्ष तक की उम्र होती है जिससे 40 वर्ष तक लगातार लेटेक्स दूध निकाला जा सकता है |
रबड़ के पौधों की सिंचाई ?
लेटेक्स उत्पादन के रूप में यदि किसान खेती करता है तो, रबर के पौधो और पेड़ों को अधिक सिंचाई देनी चाहिए| रबड़ का पौधा सूखापन के प्रति कमजोर होता है, जिस वजह से पौधा सुख भी सकता है, इसलिए विपरीत मौसम परिस्थतियों में नमी बनाए रखने के लिए पानी देते रहना चाहिए |
रबड़ कैसे बनता है ?
- रबड़ को बनाने के लिए सबसे जरूरी होता है – पेड़ से निकलने वाले दूध/लेटेक्स को एकत्रित कर लिया जाता है|
- दूध/लेटेक्स परीक्षण या फेक्ट्री तक पहुंचाया जाता है |
- अच्छी गुणवत्ता वाला रबड़ प्राप्त हो सके इसके लिए, लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए छोड़ देते है, लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने पर केवल रबड़ ही रह जाता है |
- लेटेक्स द्रव में रबड़ के अलावा शर्करा, प्रोटीन, रेज़िन, खनिज लवण और एंजाइम्स पाये जाते है |
- प्राक्रतिक रबड़ में इतना लचीलापन पाया जाता है की, अपने मूल आकार से 8 गुना तक लंबा हो सकता है, इसी गुण की वजह से रबड़ के जूते, गेंद और गुब्बारे जैसी चीजों को बनाया जाता है |
- विद्युत उपकरणों और दस्ताने बनाने में इसी प्राकृतिक रबड़ का उपयोग होता है, प्राकृतिक रबड़ बिजली का अच्छा कुचालक होता है|
रबड़ की खेती से मुनाफा/कमाई?
इस खेती को नगदी और व्यवसायिक फसल की खेती के रूप में जाना जाता है, जिनसे किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे है| बीते कुछ सालों से छोटे किसान इस खेती से दूर भागते नजर आये जिससे भारत में खेती का आकड़ा 40% तक की कमी का देखने को मिली, लेकिन वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकार रबर की खेती को बढ़ावा और लाभकारी बनाने के लिए कई सहूलियते दे रही है, जिसका किसान को फायदा उठाना चाहिए |
बड़ी-बड़ी कंपनियां रबड़ का लेटेक्स खरीदने के लिए तैयार है, जिससे रबड़ को बेचने में किसी तरह की समस्या नहीं होती है, और किसान इस प्रकार रबड़ उत्पादन के अनुसार अच्छी कमाई भी कर रहे है |
भारत में सर्वाधिक रबड़ का उत्पादन कहां होता है?
देश का सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य शुरुआत से ही केरल का स्थान बना हुआ है, जहाँ कुल रबड़ उत्पादन का 85 % रबड़ पैदावार ली जाती है| रबड़ का पेड़ 5 वर्षा का हो जाने पर लेटेक्स का उत्पादन देना शुरू करता है, जो 40 वर्षो तक रबड़ की पैदावार देता रहता है| एक एकड़ के खेत में 140-150 पौधे लगाए जा सकते है|
रबड़ के बागान कहाँ के प्रसिद्ध है?
दुनिया भर में थाईलेंड देश के रबड़ के बागान प्रसिद्ध है, जहाँ का मुख्य खेती व्यवसाय का जरिया है |
भारत में रबड़ की खेती कहां होती है?
वर्तमान में भारत में मुख्यतः केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, असम, गोवा, त्रिपुरा, महाराष्ट्र में रबड़ की खेती अच्छे क्षेत्र में की जाती है |
रबर के पौधे का क्या नाम है?
इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम – हैविया ब्राजीलिएन्सिस (Havea Brasiliensis) है, जिससे “लेटेक्स” द्रव निकालकर उसी से रबर बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है |
सबसे अधिक रबड़ किस देश में उत्पन्न होता है?
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्राक्रतिक रबर का उत्पादक देश है – थाईलेंड |
दुसरे स्थान पर – इंडोनेशिया
तीसरे स्थान पर – मलेशिया
चौथे स्थान पर नम्बर आता है – भारत |
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