Last Updated on January 21, 2024 by krishisahara
गर्मियों में मूंग की खेती कैसे करें, गर्मी में मूंग की फसल की उन्नत खेती, जायद मूंग की खेती | ग्रीष्मकालीन मूंग की किस्में | ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई | ई उपार्जन ग्रीष्मकालीन मूंग पंजीयन 2024
देश के कई राज्यों में मूंग की जायद सीजन में भी फसल ली जा सकती है, इसके लिए सिंचाई, विशेष किस्म के बीज, एव अच्छी देखरेख की आवश्यकता होती है | रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद अच्छी जुताई करके मूंग बुवाई कर साल में 3 से 4 फसल ले सकते है | गर्मियों में मूंग की उन्नत तकनीक जैसे सिंचाई विधियों का उपयोग करके उन्नत उत्पादन दर बनाई जा सकती है| आइए जानते है, गर्मियों में मूंग की खेती कैसे की जाती है –
जायद सीजन में मूंग की खेती क्या है ?
जायद सीजन भी मूंग की खेती के लिए अच्छा समय होता है, जो मध्य भारत में विस्तार से की जाती है। मूंग दाल, प्रोटीन, आयरन, विटामिन और मिनरल का अच्छा स्रोत है, जो इसे आहार में उपयोगी बनाता है। इसके अलावा, मूंग की उन्नत खेती के लिए बीज उत्पादन और बीज संग्रह तकनीक भी महत्वपूर्ण होती है। बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चुनाव करना चाहिए।
जायद सीजन में मूंग की खेती एक लाभदायक उपज होती है, जो कम समय में तैयार होती है और अधिक उत्पादन देती है |
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती अपेक्षाकृत क्यों लाभदायक है ?
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती बहुत लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें बहुत कम समय और पानी की आवश्यकता होती है तथा इससे अधिक उत्पादन मिलता है। यह फसल अपनी तेजी व वृद्धि के लिए जानी जाती है।
रबी फसलों के तुरंत बाद बुवाई मूंग की खेती से जुड़ी लागतों को कम करती है और फसल के रोगों एवं कीटों से मुक्त रहती है। इससे फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है और किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है|
ग्रीष्मकालीन मूंग बुवाई में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर ?
बुवाई के लिए बीज की अनुमानित मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 12-15 किलोग्राम ले सकते है| यह मात्रा भूमि की उपज एवं भूमि के आधार पर भी निर्भर कर सकती है| इसलिए, बीज की मात्रा को निर्धारित करने से पहले किसानों को अपनी भूमि की उपज, मौसम की स्थिति और भूमि की उर्वरकता के आधार पर तय रखना चाहिए |
ग्रीष्मकालीन मूंग की टॉप 10 किस्में ?
ये है ग्रीष्मकालीन मूंग की किस्में जो काफी लंबे समय से किसानों की पहली पसंद बनी हुई है –
- एस एम एल 668
- शीला ग्रीष्मकालीन मूंग
- मूंग कल्याणी
- पंत मूंग 1
- मोहिनी ग्रीष्मकालीन मूंग बीज
- एम.यू.एम 2
- पीएस 16 मूंग सीड्स
- आर एम जी 268
- पूसा विशाल मूंग
- टॉम्बे जवाहर मूंग-3 (टी.जे. एम -3)
गर्मियों में मूंग की खेती कैसे करें ?
गर्मियों में मूंग की खेती करने के लिए निम्नलिखित टिप्स उपयोगी हो सकते है : –
गर्मियों में मूंग की खेती के लिए उचित किस्मों के बीजों का चयन करें, जो गर्मियों में अधिक उत्पादक होते हैं | बीज की बुआई समय पर करनी चाहिए, क्योंकि इसमें ज्यादा देरी से जून जुलाई वाली मानसून बारिश प्रभावित कर सकती है –
ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई कब करें?
मूंग की खेती के लिए उचित समय गर्मियों के शुरुआती दिनों में होता है। मार्च और 20 अप्रैल तक में अधिकतर क्षेत्रों में मूंग की बुवाई पूरी कर ली जाती है |
गर्मियों में मूंग में कौन सा खाद देना चाहिए?
गर्मियों में मूंग के लिए उपयुक्त खाद के लिए निम्नलिखित विकल्प हैं : –
जैविक खाद : – मूंग के लिए जैविक खाद बहुत उपयोगी होती है। यह खाद भूमि के गुणवत्ता को बनाए रखती है और उसमें मिट्टी की खाद और उर्वरक की मात्रा बनाए रखती है |
जीवाणु खाद : – मूंग की खेती में जीवाणु खाद भी उपयोगी होती है। इससे उत्पादकता बढ़ती है और मूंग के विकास के लिए उपयोगी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी प्रदान करती है |
रासायनिक खाद : – मूंग के लिए रासायनिक खाद उपयुक्त होती है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। रासायनिक खाद से पौधों के लिए ज़्यादा खाद संचय होता है, जो फसल की गुणवत्ता को कम कर सकता है |
हरी खाद : – मूंग के लिए हरी खाद भी उपयुक्त होती है जो फसल के विकास में मदद करती है। इसे सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए क्योंकि, अधिक खाद फसल की गुणवत्ता को कम कर सकता है |
गर्मी में मूंग में कितने दिन में पानी देना चाहिए?
गर्मी में मूंग की खेती में पानी देने की अवधि विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे मौसम, मिट्टी की नमी, और पौधों की वृद्धि आदि। वैसे पूरी फसल में लगभग 3 से 5 सिंचाई अच्छी पैदावार के लिए जरूरी मानी गई है |
आमतौर पर, गर्मियों में मूंग की खेती में प्रतिदिन उच्च तापमान और तेज दिनी रौशनी के कारण पानी का उपयोग ज्यादा होता है। पौधों की आय और मिट्टी की नमी के अनुसार, आपको प्रतिदिन उपयोग की आवश्यकता के अनुसार अपनी मूंग की खेती के लिए पानी देना चाहिए |
गर्मी में मूंग की फसल हेतु प्रमुख देखरेख और सावधानियाँ ?
बीज/किस्म का चुनाव : – गर्मियों में मूंग की बुवाई के लिए सही वैराइटी का चुनना बहुत महत्वपूर्ण है| बीज चुनते समय नए और स्वस्थ बीज का चयन करें, जो अधिक पैदावार के लिए अच्छे साबित होंगे |
सिंचाई और फसल में नमी संतुलन : – गर्मियों में मूंग की फसल के लिए नियमित रूप से पानी देना ज़रूरी होता है| इसलिए, बारिश न होने पर सिंचाई व्यवस्था का उपयोग करके फसल सिंचित करें |
खेत की तैयारी और भूमि का चयन : – मूंग की फसल को धूप में बोया जाना चाहिए, इसलिए खेत की जगह उन्नत उपजाऊ दोमट या चिकन मिट्टी में होनी चाहिए |
उन्नत तकनीक का प्रयोग : – गर्मियों में मूंग की फसल को उन्नत तकनीकों का उपयोग करके खेती करना चाहिए, इससे फसल की उत्पादकता/पैदावार उपज बढ़ती है |
रोग-कीट बचाव : – गर्मियों में मूंग की फसल को बीमारियों और कीटाणुओं की समस्या बहुत ही कम देखने को मिलती है, लेकिन हल्की धूप और बादलों के मोसम में मछर कीट के फैलने का प्रकोप आ सकता है, इसके लिए सचेत रहना चाहिए |
ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई का समय ?
ग्रीष्मकाल में मूंग की फसल की कटाई का समय उसकी विकास अवस्था, मौसम और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। वैसे सामान्यतः मई माह के अंत तक ग्रीष्म कालीन मूंग फसल की कटाई पूरी कल ली जाती है |
ग्रीष्मकालीन मूंग की पैदावार कितनी होती है ?
ग्रीष्मकाल में मूंग की उन्नत खेती करने पर प्रति हेक्टेयर लगभग 8-10 क्विंटल तक फसल प्राप्त होती है| यह फसल की उपज मौसम की अवस्था, खेती के तकनीकी पहलुओं और उपज की विशेषताओं पर भी निर्भर करती है |
ग्रीष्मकालीन मूंग का भाव क्या मिल जाता है ?
ग्रीष्मकाल में मूंग की उपज अधिक होती है, सरकार भी किसानों को अच्छे भाव दिलाने को लेकर MSP की घोषणा करती है, जो पिछले साल 7275 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था | इसलिए ग्रीष्मकाल में मूंग की उन्नत खेती करने से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते है |
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती सर्वोधिक कहाँ की जाती है?
ग्रीष्मकाल में मूंग की खेती भारत में विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है| सर्वाधिक मूंग उत्पादन करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और कर्नाटक शामिल हैं|
ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
ग्रीष्मकाल में बोया गया मूंग बहुत कम समय में तैयार होने वाला बीज किस्म होता है, इसकी फसल लगभग 55-60 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाता है। हालांकि, इस दौरान कुछ क्षेत्रों में भूमिगत जल संसाधन अभाव, अधिक तापमान, या अन्य अनुयायी तत्वों के कारण पौधे का विकास धीमा हो सकता है |
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