Last Updated on January 16, 2024 by krishisahara
तिल की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए | 1 एकड़ में तिल्ली की पैदावार कितनी होती है | तिल की खेती | गर्मी में तिल की खेती | Sesame Farming in Hindi | तिल की खेती में खरपतवार नाशक दवा
तिल खरीफ की ऋतु में उगाई जाने वाली भारत की मुख्य तिलहन फसल है | तिलहनी तेल, सौन्दर्य उत्पाद, मिठाई, तीज-त्योहार, पूजा-पाठ, दवाईया आदि कार्यों में इसका भरपूर उपयोग होता है | तिल की फसल प्राय गर्म जलवायु और असिंचित क्षेत्रों मे ज्यादा में उगाई जाती है |
आइए जानते है तिल की उन्नत खेती के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी –
तिल की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी –
अधिक उत्पादन और अच्छा मुनाफा उन्नत किस्मों के प्रयोग व आधुनिक तरीकों को अपनाकर ही लिया जा सकता है| देश मे तिलों की खेती एकल एवं मिश्रित रूप से की जाती है | मैदानी क्षेत्रों में प्राय इसे ज्वार, बाजरा तथा अरहर के साथ बुआई करते हैं | तिल की उत्पादकता बहुत कम है, यदि किसान अच्छे बीजों और देखरेख के सतह इसकी खेती करता है, तो जरूर खेती के मुनाफा अर्जित कर सकता है |
तिल के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?
तिल की अच्छी पैदावार के लिए गर्म मौसम ठीक रहता है | इसकी खेती के लिए 25-27 सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है | अधिक वर्षा वाले क्षेत्र तिलहन की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि इन क्षेत्रों में फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है |
भूमि की बात करें, तो उचित जल निकास के साथ पर्याप्त नमी की अवस्था में बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है| अत्यधिक बलुई क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है| तिल 8 पी एच (pH) मान वाली भूमि में भी आसानी से उगाया जा सकता है |
खेत की तैयारी –
तिल का बीज बहुत छोटा होता है, इसलिए भूमि भुरभुरी/हल्की होना जरूरी है ताकि बीज का अंकुरण अच्छा हो | 1-2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा आवश्यकतानुसार 2-3 जुताई देशी हल, कल्टीवेटर चलाकर करें | खेत तैयार के समय ध्यान रखना चाहिए कि बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी हो ताकि अंकुरण अच्छा हो |
तिल कितने प्रकार के होते हैं ?
बाजार की मांग और उपयोग के आधार पर तिल के बीजों की बुआई कर उत्पादन लिया जाता है-
- काला तिल
- लाल तिल
- सफेद तिल का पौधा
तिल की प्रमुख उन्नत किस्में ?
तिल के उन्नत बीजों का चयन करते समय ध्यान रखे की आपके क्षेत्र मे विकसित होने वाली वैराइटियों का ही चयन करें | देश मे हर किस्म/वैराइटी का विकास मिट्टी-जलवायु आदि कारकों को ध्यान मे रखकर किया जाता है तिल की उन्नत किस्में –
तिल की प्रमुख उन्नत किस्में |
टी-4 टी-12 गुजरात तिल-3 टी-13 टी-78 राजस्थान तिल-346 माधवी शेखर कनीकी सफ़ेद प्रगति, प्रताप हरियाणा तिल तरुण गुजरात तिल-4 पंजाब तिल-1 ब्रजेश्वर |
प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा ?
सामान्य शाखाओं में वाली किस्मों के लिए 2.5-3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और बिना शाखा वाली किस्मों के लिए 3-4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त रहता है |
बीज और मिट्टी उपचार तिल की बुवाई से पूर्व जड़ व तना गलन रोग से बचाव के लिए बीजों को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरीडी प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें |
तिल बुवाई की विधि –
तिल का बीज आकार में छोटा होता है, इसलिए इसे गहरा नहीं बोना चाहिए | इसकी बुवाई कम वर्षा वाले क्षेत्रों तथा रेतीली भूमियों में 45*10-12 सेंटीमीटर पर करने से अधिक पैदावार प्राप्त होती है |
सामान्यतः लाइन से लाइन के बीच दूरी 30 गुणा 10 सेंटीमीटर रख सकते है |
तिल की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए ?
मानसून की प्रथम वर्षा के बाद जुलाई के प्रथम सप्ताह में बुवाई करें | बुवाई में देरी करने से फसल के उत्पादन में कमी होती है | तिल की खरीफ की ऋतु की फसल जून-जुलाई का महिने मे बुवाई का काम पुरा कर लेना चाहिए |
गर्मी में तिल की खेती– इस मौसम मे होने वाली खेती को मुख्यतः फरवरी मे बोया जाता है, सिंचाई की भी आवश्यकता पड़ती है| ग्रीष्मकालीन में तिल की खेती मे माना जाता है की रोंग-कीट कम और उत्पादन ज्यादा मिलता है |
Til ki kheti खाद और उर्वरक कोनसा डाले ?
व्यवसायिक और बड़े क्षेत्र मे तिल की खेती के लिए खाद और उर्वरक का प्रयोग मिट्टी जांच के आधार पर करे| भूमि कम उपजाऊ है तो, फसल के अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई से पूर्व 250 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग लाभकारी रहता है| बुवाई के समय 2.5 टन गोबर की खाद के साथ एजोटोबेक्टर व फास्फोरस विलेय बैक्टीरिया (पी एस बी) 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें| तिल बुवाई से पूर्व 250 किलोग्राम नीम की खली का प्रयोग भी लाभदायक है |
तिल की भरपूर पैदावार के लिए अनुमोदित और संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग आवश्यक है | मिट्टी की जांच संभव न होने की अवस्था में सिंचित क्षेत्रों में 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20-30 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए | वर्षा आधारित फसल में 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 15-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फास्फोरस की मात्रा का प्रयोग करें |
तिल की खेती में खरपतवार नाशक दवा ?
तिल खरीफ की फसल है, जिसमें खरपतवार की संख्या अधिक होती है| खरपतवार समय पर नियंत्रण नहीं किए जाते हैं, तो पैदावार में भारी गिरावट आती है| खरपतवार की रोकथाम के लिए बुवाई के 3-4 सप्ताह बाद निराई गुड़ाई कर खरपतवार निकाले जहा निराई गुड़ाई संभव नहीं हो वहा एलाक्लोर 2 किलोग्राम दाने या 1.5 लीटर तरल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई से पहले प्रयोग कर सकते है| आवश्यकतानुसार 30 दिन बाद एक निराई गुड़ाई अवश्य करें |
तिल की फसल मे लगने वाले प्रमुख रोंग और उनके नियंत्रण ?
तिल की फसल के प्रमुख रोंग | प्रभाव और लक्षण | नियंत्रण |
झुलसा एवं अंगमारी रोंग | इस बीमारी में पत्तियों पर छोटे भूरे रंग के शुष्क धब्बे दिखाई देते हैं | ये धब्बे बड़े होकर पत्तियों को झुलसा देते हैं | इसका प्रकोप अधिक होने पर तने पर भी गहरी धरियो के रूप में दिखाई देता है | | फसल पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही मेन्कोजेब या जाइनेब डेढ़ किलोग्राम या कैप्टान दो से ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें 15 दिन पश्चात छिड़काव पुनः दोहराए | |
तिल का जड़ तथा तना गलन | इस रोग से प्रभावित पौधे की जड़ एवं तना भूरे हो जाते हैं | प्रभावित पौधे को ध्यान से देखने पर तने, पत्तियों, शाखाओं और फलियों पर छोटे-छोटे काले दाने दिखाई देते हैं | | नियंत्रण के लिए बुवाई से पूर्व 1 ग्राम कार्बण्डिजम+2 ग्राम थाएम या 2 ग्राम कार्बण्डिजमया 4 ग्राम ट्राईकोडर्मा विरिडी प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें | |
तिलहन फसल कटाई –
तिल की कटाई कब करें– फ़सल पकने पर तने और फलियों का रंग पीला पड़ जाता है, जो फसल कटाई का उपयुक्त समय है | खेत में पकी फ़सल को ज्यादा समय तक रखने पर फलिया फटने लगती है, जिससे बीज बिखरने लगते है, अत उचित समय पर फसल कटाई करे फसल सूखने पर गहाई बाद बीजों को साफ करके धूप में सुखाया भंडारण से पूर्व बीजों में 8-10% से कम नमी होनी चाहिए |
नोट:- तिल की खेती मे अधिकतर किसानों मे फसल की कटाई मे समस्या आती है क्योंकि इस फसल मे कटाई के लिए कृषि मशीनों का प्रयोग नहीं कर सकते है और फसल को समय पर काटना जरूरी होता है |
तिल की पैदावार कितनी होती है?
कृषि की उपरोक्त उन्नत तकनीक अपनाकर तिल की फसल से 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है | वैसे कोई भी फसल हो प्रति हेक्टेयर पैदावार, मिट्टी, जलवायु मौसम, रोंग कीट, देखभाल आदि पर निर्भर करता है |
तिल का भाव 2024?
बात करें की तिल का क्या रेट चल रहे है, तो तिल सामान्यतः मंडी भाव 8000 से 10,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल और बाजार भाव 200 से 250 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है | ज्यादा जानकारी के लिए आपको नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें, तिल का भावों को लेकर लेटेस्ट जानकारी मिल जाएगी –
– तिल का भाव आज 2024
– काला तिल का भाव
– तिल का भाव
भारत मे तिल की फसल कहाँ-कहाँ होती है?
इसकी खेती भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों में की जाती है, जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल तथा हिमाचल प्रदेश इत्यादि तिल के प्रमुख उत्पादक राज्य है |
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