Last Updated on January 2, 2024 by krishisahara
हाइब्रिड अमरूद की खेती | अमरूद की सबसे अच्छी किस्म | अमरूद की खेती pdf | अमरूद की खेती से कमाई | अमरूद की कटिंग कब और कैसे करें | अमरूद के पेड़ की दवा
अमरूद, फलों की बागवानी में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, इसे गरीबों की सेव/एप्पल भी कहा जाता है | कृषि की नई तकनीकों को अपनाकर आज का जागरूक किसान कमा रहा है, लाखों में कमाई | अमरुद की पौष्टिकता और गुणवत्ता के कारण बाजारों में सालभर इसकी मांग बनी रहती है| अमरूद की कई उन्नत हाइब्रिड किस्मों की बागवानी मेहनती किसान को दे सकती है, सामान्य खेती की तुलना में कई गुणा लाभ, तो आइए जानते है, अमरूद की खेती कैसे करें- इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी –
अमरूद की खेती कैसे करें 2024 ?
किसान भाई इस लंबे समय तक चलने वाली फसल की खेती के लिए, अच्छी जानकारी, बाजार की मांग, फसल की देखरेख, तुड़ाई, भाव में जागरूकता रखकर, खेती को सफल बना सकते है|
अमरूद की सबसे अच्छी किस्म ?
यह एक प्रकार की लंबे समय तक पैदावार देने वाली बागवानी/फसल है, इसलिए अमरूद के पौधे की वैरायटी का चयन करना बहुत जरूरी हो जाता है| आपके क्षेत्र की जलवायु ओर बाजार में मांग, निर्यात के अनुसार किस्म का रोपण करना चाहिए | पौध नर्सरियों में अमरूद की कई प्रजातियाँ /किस्में निम्न है – पंजाब पिंक, इलाहाबाद सफेदा, ओकर्स मृदुला, पंजाब सफेदा, श्वेता, इलाहाबाद सुरखा, सेब अमरुद, चित्तीदार, पन्त प्रभात, ललित आदि |
अमरुद की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी ?
आमतौर पर अमरुद की खेती भारत के किसी भी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है, क्योंकि यह पौधा जलवायु/मिट्टी/रोग-कीट आदि के प्रति काफी सहनशील होता है| अमरुद की सर्वाधिक खेती शुष्क और अर्धशुष्क जलवायु क्षेत्र में, जहाँ अधिकतम 31 डिग्री और न्यूनतम 14 डिग्री के तापमान हो सके | अमरुद की व्यापारिक खेती के लिए बालुई दोमट और चिकनी मिट्टी में अधिक फलता-फूलता है, मिट्टी का pH मान लगभग 6-7 के मध्य होना चाहिए|
अमरुद की बागवानी के लिए उचित समय ?
अमरुद के पौधो को लगाने का सही समय वर्षा ऋतू के प्रारम्भ का माना गया है, जो जून–जुलाई का महिना उत्तम है | यदि आपके पास सिंचाई की उचित व्यवस्था है, तो आप शीत ऋतू के अंत में भी अमरुद की बागवानी पौध लगा सकते है, इसके लिए फरवरी-मार्च महीना सही माना गया है |
अमरुद की खेती के लिए भूमि की तैयारी कैसे करें ?
वर्षा ऋतू के प्रारंभ होने से पहले ही आप अपने खेतो की 2 से 3 गहरी जुताई करा ले | खेत की मिट्टी की जाँच कराए, जरूरी पौषक तत्वों की पूर्ति करें | पहली जुताई के समय जैविक खाद या अच्छी पकी हुई गोबर खाद डाले | गड्डों की खुदाई भी पौधारोपण से 1 महीने पहले करा लेवे, 10 से 15 दिन पहले तक गड्डों को खुदवाकर खुला रखे ताकि अनावश्यक कीट-मच्छर मर जाए | पौधारोपण से पहले गड्डो में खाद्य व नीम की खली ओर जैविक खाद को उचित मात्रा में मिलाकर, पौधरोपन कर सकते है |
अमरुद के पौधो का रोपण मापदंड ?
आमतौर पर अमरूद को पौधे की वैरायटी के अनुसार अंतराल में रोपण किया जाता है | गहन रोपण मापदंड में 10*10 फिट के अंतराल पर और घने/लंबे/ऊंचे बाग के लिए 15*20 फिट का अंतराल रख सकते है |
अमरुद के खेती में कौनसी खाद डाले ?
खेत तैयारी के समय और हर छः महीने में होने वाली निराई-गुड़ाई में खाद के लिए गोबर खाद, सिंगल सुपर फ़ॉस्फेट, पोटास और मिथाइल पैराथियान पाउडर का उपयोग करें |
एक साल के पौधो में नाइट्रोजन 50 gm, सल्फर 30 gm और पोटाश 50 gm मात्रा प्रति पौधा के हिसाब से डाले, 2 वर्ष के पौधो के लिए यह मात्रा दो गुनी कर दे, तीन वर्ष के लिए 3 गुने हिसाब से उर्वरक डोज देना चाहिए |
अमरुद के पौधो में कब और कैसे सिंचाई करें ?
अमरुद के पौधो में सिंचाई सर्दियों में 10 से 12 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में सिंचाई 5 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए | जब अमरुद का पौधा 2 साल का हो जाए, तो 12-15 दिन के नियमित अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए |
अमरुद के पौधो में लगने वाले रोग और कीट ?
- वर्षा ऋतु में अमरुद के पौधो में कीट व बीमारियों का प्रकोप देखने को मिलता है – इससे पौधों की उत्पादन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, प्रमुख रूप से लगाने वाले कीड़े है – छाल नष्टक कीड़े, फल में छेद करने वाले कीड़े, अमरुद में अंडे देने वाली मक्खी, शाखा बेधक कीट आदि | इनसे बचने के लिए नीम के पत्तो के उबले हुए पानी का समय-समय पर छिडकाव करते रहे |
- प्रमुख रोग – उकठा रोग, तना कैंसर आदि, भूमि की नमी के कारण उकठा रोग होता है| उकठा रोग से ग्रसित पौधो को हटाकर नष्ट कर देना चाहिए|
- तना रोग से ग्रसित टहनियों को काट देवे तथा कटे हुए भाग पर देसी उपचार में गीला गोबर या ग्रीस लगा देवे |
अमरुद की तुड़ाई कब करें ?
आज के समय आने वाले हाइब्रिड पौधे शुरुआत से ही फल देने के लिए तैयार हो जाते है, ले किसान भाई को खेत में पौधा लगाने के एक साल तक फलों की उपज नहीं लेनी चाहिए | एक साल तक पौध की अच्छी बढ़वार होने दे, इस समय कचे फलों को शुरुआती समय में तोड़ देना चाहिए | पौधारोपण के अगले एक वर्ष बाद पौधो में लगने वाले फल की तुड़ाई प्रारम्भ कर सकते है |
अमरुद की कटिंग कब और कैसे करें ?
जब फलों को तुड़ाई का सीजन पूरा हो जाता है, तो उसके बाद अमरुद के पौधो की कटिंग की जाती है, ताकि नये फलों का उत्पादन अच्छा हो सके | सामान्यतः अमरूद क पौधों की कटिंग का कार्य दिसंबर के अंत में और जनवरी के प्रारंभ में कर सकते है |
अमरुद की खेती में लागत और कमाई ?
इस बागवानी पौधे की खेती करके आप एक बार की लागत से अगले 25 सालों तक पैदावार ले सकते है | इसकी लागत ड्रिप सिस्टम, खाद-उर्वरक, पौधे की कीमत, सिंचाई, देखरेख के आधार पर तय होती है | शुरुआती एक बार प्रति हेक्टेयर लागत 1.5 से 2 लाख रुपये तक मानी जा सकती है, जबकि मुनाफे की बात करें तो, अनुकूल परिस्थति और अच्छी देखरेख में सालाना 2 से 3 लाख रुपये प्रति/हेक्टर कमाई आसानी से कर सकते है |
अमरुद की फसल की प्रमुख देखरेख और सावधानियां ?
अमरुद के पौधो की मजबूती और सही उत्पादन के लिए इसकी देखरेख जरुरी है –
- बाग तैयारी के समय खेत की अच्छी तैयारी करें, मिट्टी की जाँच करवाए |
- खेती की मिट्टी को रोगमुक्त रखे, अधिक मात्रा में जैविक खादों का प्रयोग करें |
- सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम को अपनाना चाहिए |
- अमरूद की प्रमाणित नर्सरी से उन्नत और स्वस्थ पौध का चयन करना चाहिए |
- फसल में समय-समय पर निराई-गुड़ाई, रोग-कीट देखरेख, प्रबंधन करना चाहिए |
- हर सीजन/साल अमरूद फलो की तुड़ाई के बाद इसकी हल्की कटिंग करें, सूखी हुई टहनियों को हटा देवे |
अमरुद का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
हाइब्रिड पौधे शुरुआत से ही फल देने के लिए तैयार हो जाते है, किसान भाई को खेत में पौधारोपण के लगभग 1 साल बाद या पौधा अच्छा आकार/ऊंचाई ले, लेवे तब फलों की तुड़ाई लेना शुरू कर सकते है |
अमरुद के पेड़ की उम्र कितनी होती है?
इस बागवानी फल के पेड़ की अधिकतम आयु 30-35 वर्ष तक होती है, लेकिन फल लेने की दृष्टि से अधिकतर किसान भाई 25 वर्ष तक ही व्यवसायिक उद्देश्य रखते है, उसके बाद बाग वापस लगाने की में रहते है |
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