[ मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए 2024 ] प्रमुख उपाय, कौन सी दवाई, पोटाश, सल्फर | Good Yield in Groundnut

Last Updated on March 1, 2024 by krishisahara

मूंगफली तिलहनी फसलों में से एक है, जो उत्तरी एवं मध्य भारत में बहुतया से उगाई जाती है | किसानों को कई बार मूंगफली फसल से नुकसान भुगतना पड़ता है, जिसके कई कारण सामने आते है, जैसें – बुवाई का समय, खेत की तैयारी, बीज वैरायटी, मिट्टी में खाद-बीज की कमी, निराई-गुड़ाई, सिंचाई, मौसम, फसल रोग-किट आदि हो सकते है | आज बात करेंगे किसान भाइयों – मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए जिससे इस सीजन में अच्छी पैदावार ले सके |

मूंगफली-की-पैदावार-कैसे-बढ़ाए

मूंगफली में अच्छी पैदावार के लिए क्या करें ?

सामान्य एवं जरुरी तरीकों में किसान भाई को इन बातों का जरुर ध्यान रखना चाहिए –

सही मिट्टी एवं जलवायु – मूंगफली के लिए सही मिट्टी का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है| मूंगफली हेतु रेतीली दोमट, लाल भुरभुरी दोमट, बलुई-भुरभुरी मिट्टी भी सबसे उत्तम मानी जाती है | मिट्टी में जलनिकास क्षमता अच्छी और उच्च उर्वरक, खनिज तत्वों का समृद्ध होनी चाहिए|

समय पर बुआई – मूंगफली को अधिकतम उत्पादकता के लिए मानसून की पहली बरसात या जून के महीनों के बीच बोना चाहिए |

जैविक एवं रसायनिक खाद – मूंगफली उगाने के लिए खेत जुताई के समय जैविक खाद की अच्छी मात्रा देना बहुत जरूरी होता है| इसे बोनमिल, सुपरफॉस्फेट या मूंगफली के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए उर्वरकों का उपयोग करके प्रदान किया जा सकता है| तिलहनी फसल होने के कारण 5 से 6 टन अच्छी पकी हुई गोबर खाद प्रति हेक्टयेर की मात्रा से डालनी चाहिए |कपास में रोग – मकड़ी का प्रकोप, गुलाबी सुंडी, कीड़ें

मूंगफली की फसल में निराई-गुड़ाई ?

मूंगफली की अच्छी पैदावार लेने के लिये कम से कम एक निराई-गुड़ाई अवश्य करें| इससे जड़ों का फैलाव अच्छा होता है, साथ ही भूमि में वायु संचार भी बढ़ता है| और मिट्टी चढ़ाने का कार्य स्वतः हो जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है| यह कार्य खुरपा या हस्तचलित छोटी मशीन यंत्रो से भी कर सकते है |

मूंगफली में कौन कौन सी दवाई देनी चाहिए?

किसान भाइयों खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परिक्षण के आधार पर करना चाहिए| चूँकि यह एक तिलहन फसल है, तो इसमें 3 किलोग्राम प्रति एकड़ 90% वाला सल्फर डालना चाहिए| साथ ही बीज उपचार कर बुवाई करना चाहिए | फसल के बुवाई से पकने तक रोग एवं कीटों की निगरानी करना चाहिए|

मूंगफली फसल को कई प्रकार की बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए कुछ खाद, औषधि और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है| निम्नलिखित दवाइयों का उपयोग मूंगफली फसल में किया जाता है –

  • सल्फर
  • पोटाश
  • नाइट्रोजन हेतु (यूरिया)
  • डायमेथोएट (Diamethoate)
  • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड
  • पेन्डीमेथालिन
  • जिप्सम

मूंगफली में पोटाश कब दिया जाता है?

मूंगफली फसल के लिए पोटाश की महत्वता बहुत मानी जाती है, क्योकि यह फसल के पकते समय दानों में तेल की मात्रा को बढ़ाता है| पोटाश की कमी से मूंगफली के पौधे विकसित नहीं हो पाते है और मूंगफली दानों में तेल की मात्रा कम बनती है |

किसान भाई इसे मूंगफली के लिए दो समय दे सकते है, जिसमें पहली बार मिट्टी जुताई के समय एवं दूसरी बार पोटाश का उपयोग फूल आने के समय किया जाता है|

पोटाश की मात्रा फसल के संवर्धन अवस्था और मिट्टी की उपलब्धता के आधार पर, मूंगफली के लिए 60-80 किलो प्रति हेक्टेयर पोटाश की आवश्यकता होती है|

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मूंगफली में सल्फर कब डालना चाहिए?

मूंगफली में सल्फर एक महत्वपूर्ण मिनरल है, जो पौधे के संरचनात्मक तत्वों और पोषक तत्वों की उपलब्धता में मदद करता है| सल्फर की कमी से मूंगफली के पौधे में सिकुडन हो सकते है और उत्पादकता में कमी हो सकती है|

मूंगफली के लिए सल्फर की आवश्यकता भूमि की उपलब्धता और पौधों की अवस्था के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए | सामान्यतया, मूंगफली के साथ सल्फर का उपयोग फूल बढ़ाने के समय किया जाता है, यह जुलाई-अगस्त महीने में होता है|

आमतौर पर, मूंगफली के लिए 20-30 किलो प्रति हेक्टेयर सल्फर की आवश्यकता होती है| इसे खेती के शुरुआती दिनों में दी जानी चाहिए, ताकि फसल में सल्फर की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके|

मूंगफली की पैदावार बढ़ाने में प्रमुख देखरेख एवं सावधानियां ?

मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहन एवं खाद्य फसल है, जो भारत में व्यापक रूप से उत्पादित की जाती है| इस फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए निम्नलिखित प्रमुख देखरेख और सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक होता है –

  • समृद्ध और गुणवत्ता वाली जमीन
  • समय पर बीज लगाना
  • अच्छी वैरायटी का बीज चुनाव
  • सही पैदावार के लिए नियमित सिंचाई का ध्यान
  • खेत की उपयुक्त देखभाल एवं समय पर निवारण
  • पकते समय रोग किट का ध्यान एवं समय पर कटाई

मूंगफली में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण और उपाय?

मूंगफली एक नाइट्रोजन विशिष्ट फसल है, जो उच्च मात्रा में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है | नाइट्रोजन की कमी के लक्षण निम्नलिखित होते है –

  • पत्तों का पीलापन, मूंगफली की पत्तियों का पीलापन नाइट्रोजन की कमी का संकेत होता है|
  • पौधों की विकास धीमी गति से होना, नाइट्रोजन की कमी के कारण मूंगफली के पौधों का विकास धीमा हो सकता है|
  • फूलों और फलों की कमी, नाइट्रोजन की कमी के कारण मूंगफली में फूलों और जड़ों का फैलाव कम हो सकता है|
मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए

मूंगफली में कौन सा खाद डालें?

मूंगफली एक तिलहन की विशेष फसल होती है, जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम, जैविक खाद में कम्पोस्ट, हरी खाद, गोबर खाद, पोल्ट्री फार्म खाद जैसी पोषक तत्वों की अधिक मांग रखती है| इसलिए, मूंगफली को उपयुक्त रूप से उगाने के लिए इसे ये खाद देना चाहिए|

मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए कौन सी सल्फर डालें?

मूंगफली के लिए विभिन्न प्रकार की सल्फर उपलब्ध होती है| किसान भाइयों का सवाल रहता है- मूंगफली में कौन सी सल्फर डालें, सल्फर 90G (सल्फर 90% पाउडर) जो पूरी फसल में दो बार देनी चाहिए | मूंगफली की फसल में सल्फर की मात्रा बीज बुवाई के समय पर 75% और पौधों में फूल आने के समय 25% सल्फर का प्रयोग करना चाहिए |

मूंगफली के लिए कितनी वर्षा की आवश्यकता है?

इसकी खेती शुष्क प्रदेशो में उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है | इसके पौधे खरीफ सीजन की नमी और प्रकाश में अच्छे से विकास करते है, तथा इनके लिए 60 से 130 CM वर्षा की आवश्यकता होती है |

मूंगफली फसल में सल्फर खाद की मात्रा प्रति एकड़?

खेती में उपयुक्त सल्फर की मात्रा खेत की मिट्टी के आधार पर अलग-अलग होती है| सामान्यत 8 से 10 kg प्रति एकड़ की दर से सल्फर खाद का प्रयोग कर सकते है | यदि आपकी भूमि अच्छी खाद वाली होते हुए भी कम पैदावार क्षमता रखती है, तो कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर सल्फर उपयोग किया जाना चाहिए|

मूंगफली में पोटाश क्या काम करता है?

तिलहन फसलों में फसल के अच्छे पकाव एवं बीजों में तेल की अच्छी मात्रा बढ़ाने में सहायक माना जाता है | किसान भाई को खेत तैयारी के समय एवं फूल आने के समय तिलहनी फसलों में पोटाश की पूर्ति करनी चाहिए |

मूंगफली की बढ़वार के लिए क्या करें?

किसी भी फसल की अच्छी बढवार के लिए शुरू से ही अच्छी तैयारी करनी चाहिए – जैसे खेती की अच्छी जुताई, बीज का चुनाव, मिट्टी में पोषक तत्वों की जाँच, निराई-गुड़ाई, सिंचाई, मौसम, फसल रोग-किट निवारण आदि उपाय मूंगफली फसल की बढवार के लिए अच्छे कदम माने आते है |

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