Last Updated on April 19, 2024 by krishisahara
आज के समय आलू फसल का बोलबाला खेत से लेकर बड़े-बड़े उद्धोगो तक फैला हुआ है | आलू एक ऐसी फसल है, जो बाजार में पूरे सालभर मांग में रहती है | आलू से सब्जियों से लेकर खाध्य सामग्रियाँ जैसे चिप्स, कुरकुरे, कचोरी, समोसे अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है, जिनके कारण भाव और मांग अच्छी देखी जाती है| किसान भाई आलू की अच्छी वैराइटियों की खेती करके कोल्ड-स्टोरेज में रखकर पूरे सालभर अच्छे भावों में बेचकर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते है –
टॉप 10 आलू की किस्में कौन कौन सी है?
नीचे दी गई सभी आलू की प्रमाणित और मानक उन्नत किस्में है, जिनको किसान अपने क्षेत्रों और बाजार की मांग के अनुसार लगाकर अच्छा लाभ/मुनाफ़ा कमा रहे है –
कुफरी बहार –
इस किस्म के आलू की खेती उत्तर भारत में अधिक की जाती है, इसकी फसल को पकने में 90 से 120 दिनों का समय लगता है| उतरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में इसकी पैदावार 200 से 250 क्विंटल/हैक्टेयर ली जाती है |
302 आलू की वैरायटी ?
302 आलू के पौधे की तना जड़ काफी मोटी होती है, इसकी बुआई का सही समय अक्टूबर या नवंबर है| 302 वैराइटी का आलू 70 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाता है यह किस्म कई प्रकार की रोगप्रतिरोधी किस्म है, इसकी पैदावार भी 250 से 300 क्विंटल/हैक्टेयर तक मानी जाती है |
किसान भाईयो इस आलू की खेती करना अधिक पसंद करते है, लेकिन ध्यान रखे – इस किस्म के आलू की खेती के लिए खाद, सिंचाई और खरपतवार का अधिक ध्यान रखना है |
चिप्सोना आलू की वैरायटी ?
इस किस्म के आलू की मांग भी बाजार में सालभर अच्छी देखी जाती है | चिप्स, फिंगर फ्राई, रसोई व्यंजन बनाने में ज्यादातर उपयोग में लियाा जाता है | इसकी पैदावार भी अन्य किस्म की तुलना में काफी अच्छी मानी गई है | चिप्सोना आलू बीज की फसल को तैयार होने में 90 से 110 दिनों तक का समय लगता है | इसकी फसल में रोग होने की संभावना भी काफी कम होती है |
कुफरी मोहन आलू की किस्म ?
कुफरी मोहन आलू की मुख्य विशेषता यह की इस किस्म पर पाले का प्रभाव नही पड़ता है | कुफ़री मोहन वैराइटी की उपज पैदावार 350 से 400 क्विंटल/हेक्टेयर तक ली जाती है |
पुखराज आलू की किस्म/पैदावार ?
पुखराज आलू की किस्म सालभर मंडियों में डिमांड में रहती है | यदि पुखराज आलू की किस्म की पैदावार की बात करें, तो 350 से 400 कुंटल/हेक्टर के आस-पास मानी गई है | पुखराज किस्म का आलू फसल पकने में 55 से 65 दिनों का समय लेती है |
3797 आलू की किस्म ?
इस वैराइटी को सफेद 3797 किस्म नाम से भी जाना जाता है, किसान काफी इस वैराइटी को अच्छी किस्म मानते है | मध्य भारत में, इसकी पैदावार अच्छी होने के कारण इसकी बुवाई अच्छे रकबे में की जाती है | भारतीय मंडियों में एक कट्टा का भाव 400 रुपए से 1000 रुपए तक बिकता है|
कुफरी स्वर्ण आलू बीज –
इस किस्म की उपज/उत्पादन दक्षिण भारत में अधिक होती है | कुफरी स्वर्ण की फसल तैयार होने में 110 दिनों का समय लगता है | इसकी पैदावार 300 कुंटल प्रति हेक्टर के आस-पास मानी जाती है |
ख्याति आलू का बीज ?
ख्याति आलू किस्म का विश्वास किसानों में पिछले सालों से बढ़ता दिखाई दे रहा है | ख्याति आलू वैराइटी से रोजाना घरेलू सब्जियां और चिप्स, बाजार के खाध्य प्रोडक्ट बनाने में उपयोग होता है | इस किस्म की फसल भारत में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मध्य प्रदेश, पंजाब- जैसे राज्यों में सर्वाधिक होती है |
न्यू हॉलैंड आलू की वैरायटी ?
बड़े आकार के आलू की किस्म जिनका वजन 500 से 800 ग्राम तक देखा जाता है | न्यू हॉलैंड आलू की वैरायटी के आलू स्वाद में काफी अच्छा और पैदावार की बात करें, तो 400 से 500 क्विंटल/हेक्टेयर उपज ली जा सकती है |
कुफरी देवी –
इस वैराइती की खेती देश के ज्यादातर मैदानी तथा पहाड़ी दोनो क्षेत्र में होती है | परंतु उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र और मध्यवर्ती मैदानों में इसकी होने लगी है | यह किस्म बुवाई से 110 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है, पैदावार 300 से 450 कुंटल प्रति हेक्टेयर देखी जा सकती है |
यह भी पढ़ें –
- पौधों को कीटों से बचाएंगी ये नीली-पीली स्टिकी ट्रैप
- हाइब्रिड भिंडी बीज, मुनाफा कमाई
- मिर्च की नर्सरी तैयार करने की शानदार विधि –
कुफरी चंद्रमुखी आलू बीज –
इस किस्म के पौधे का तना लाल भरे रंग के धब्बे के साथ हरा होता है | इस फसल को तैयार होने में 85 से 90 दिन का समय लगता है | इस किस्म बीज से पैदावार 250 कुंटल/हेक्टेयर के आस-पास होती है | कुफरी चंद्रमुखी आलू की फसल भारत देश में मैदानी क्षेत्र और पठारी क्षेत्रों में अधिक की जाती है |
कुफरी अलंकार –
इस वैराइटी को जल्दी पकने वाली किस्मों में शमिल किया गया है, जो बुवाई से मात्र 70 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है | अलंकार आलू वैराइटी की उपज 200 से 300 क्विंटल/हेक्टेयर तक देखी जाती है | बुवाई में लेट होने वाले किसान, या खेत जल्दी खाली करने वाले किसान इस किस्म को लगाकर कम समय में अच्छी पैदावार लेते है |
आलू की खेती में प्रमुख देखरेख और सावधानियाँ ?
- बुवाई से पहले खेतों को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए |
- बीज के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना या घरेलू बीज को उपचारित करके ही बोना चाहिए |
- आलू उत्पादन की प्रमुख समस्या में स्वस्थ बीज की कमी, पिछेता झुलसा का प्रोकोप, सिंचाई में अंतराल, उत्पादन की बढ़ती लागत आदि आदि समस्या आती है |
- आलू की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए आपको उन्नत किस्म के शुद्ध बीज का उपयोग करना चाहिए |
- आलू की खेती में आपको सिंचाई और खरपतवार का अधिक ध्यान रखना है | आलू की सिंचाई के लिए आपको 1 फिट की नाली तैयार कर लेनी है, इससे आलू के पौधे को पानी अच्छे मिलेगा |
आलू की खेती कौन से महीने में होती है?
किसान अपने खेत की तैयारी और बीज किस्म के बुवाई के समय अनुसार आलू की बुवाई कर सकता है –
सीजन बुवाई का प्रकार | आलू बुवाई का समय |
आलू की अगेती बुआई का समय | 15 सितंबर से 30 सितंबर |
सामान्य बुआई का सबसे अच्छा समय | 15 अक्टूबर से 10 नवम्बर |
आलू की देरी/पछेती बुआई का समय | 10 दिसंबर से 25 दिसंबर के मध्य |
आलू की खेती के लिए आवश्यक खाद ?
किसान भाइयों- खेत की तैयारी से लेकर आलू फसल पकने तक खाद-उर्वरक का ध्यान रखना चाहिए | खेत का उपजाऊपन बनाने के लिए 10 से 15 टन कॉम्पोज खाद या पकी हुई गोबर खाद को डालकर अंतिम जुताई कराए | पौधे बढ़ते समय यूरिया/NPK खाद का भी उपयोग करते रहना है, जब आलू की फसल 50-60 दिन की हो जाए तब आलू फूलने वाली खादों का प्रयोग कर सकते है |
आलू की खेती में पोटाश कब डाले?
पोटास खाद को आपको बुआई के 25-35 दिनों बाद डालना चाहिए, जब आपके पौधे में आलू का उगना शुरू हो जाए, पोटाश खाद डालने से आलू फसल के फलों का आकार बड़ा होगा |
आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?
यह भी जरूर पढ़ें…
- थाई एप्पल बेर की खेती कैसे करें ?
- सागवान पेड़ों की खेती कैसे करें 2024
- पॉलीहाउस खेती क्या है? यहां जानें