Last Updated on February 15, 2024 by krishisahara
पान का बीज कैसा होता है | paan ki kheti | पान की खेती कैसे करें | paan ke patte ki kheti | पान की खेती कहां होती है | Betel Leaf Cultivation | पान की खेती PDF | पान का पौधा online
देश में पान का उपयोग औषधीय रूप और शाहीशौक, दवाईया, धार्मिक पूजा-पाठ व सभी सांस्कृतिक कार्यों के रूप में किया जाता है| बात करेंगे पान की खेती की तो देश के प्रगतिशील किसान पान की खेती कर अच्छा लाभ कमा रहे है | उद्योग-धंधों, शहरों और छोटे-बड़े बाजारों में पान के पत्तों की खूब मांग रहती है | पान मुख्य रूप से तांबूलि या नागवली नामक बेल का पत्ता है |
इस लेख के अंत तक बने रहिए इसमें बात करेंगे – पान का बीज कहां मिलता है, पान की खेती कैसे करें, पान की खेती कहां होती है, पान का बाजार आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी –
पान की खेती कब और कैसे करे ?
यह खेती मुनाफे वाली होने के साथ-साथ इसमें मेहनत की भी ज्यादा जरूरत होती है | पान को बेलो/ लताओं के मध्य भाग से बहुत सी कलमें निकलती है, जो रोपण के लिए आदर्श कलम होती है | पान की बेल में अंकुरण व प्रवर्धन अच्छा हो इसके लिए छायादार रूप और हमेशा नमी बनाए रखने के साथ खाद-सिंचाई, कीट-रोंग आदि का ध्यान में रखकर काम करना होता है |
पान की खेती में उपयुक्त भूमि और खेत की तैयारी ?
मिट्टी जीवाश्म युक्त और उपजाऊ होना चाहिए, जहां तक हो सके ऊंचे क्षेत्रों वाली भूमि का चयन करें |
बरेजा बनाने से पहले खेत की पहली जुताई मई में या जून में किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, ताकि तेज धूप में मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीड़े-मकोड़े और खरपतवार खत्म हो जाये | बरेजा बनाने से 20-25 दिन पहले अच्छी गुडाई करके देशी हल से जुताई द्वारा मिट्टी भुरभुरी करनी चाहिए |
Paan ki kheti के लिए जलवायु ?
पान छायादार नम व ठंडे वातावरण में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है | देश के सामान्य रूप और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रो में पान की खेती ज्यादा की जाती है | वर्षा वाले स्थानों में पान के पत्तों की बढ़वार अच्छी होती है |
यह भी पढ़ें –
पान की उन्नत किस्में/पान की प्रजातियाँ ?
देश में मुनाफा और व्यापार की दृष्टि से ये प्रमुख – पान की प्रजातियाँ जो देश में मुख्य रूप से उगाई जाती है-
पान की उन्नत किस्में |
देशावर |
महोबाई |
कलकतियाँ |
कपूरी |
बँगाली |
जगन्नाथी |
साँची पान |
सौंफिया |
कशकाठी |
रामटेक |
मगही |
बनारसी आदि | |
प्रमुख रूप से कलकतियाँ पान, बँगाली पान, साँची पान यह प्रजातियाँ प्रमुख रूप से उगाई जाती है |
पान की खेती में बरेजा क्या होता है – नये बरेजे का निर्माण ?
पान की खेती की विधि/पान की खेती का तरीका – खेती के रूप में पान की बेले 50 सेंटीमीटर की नाली व 50 सेंटीमीटर की मेडी रखनी है | किसान अपने खेती क्षेत्र के अनुसार बड़ा सकते है | बरेजे का निर्माण कैसे किया जाता है – आमतौर पर इसमें बांस, लोहे के तार और घास-लकड़ी आदि का इस्तेमाल होता है | बरेजा तैयार करने का मुख्य उद्देश्य बेलो को ऊंचाई पर चड़ाना और छायादार छत तैयार करना है |
बरेजे से पौधे को धूप से रक्षा और वर्षा की छोटी-छोटी बूंदो को पौधे पर सीधी गिरने से बचाता है |
बांस और तारों की सहायता से बरेजे को छत पर पुआल या घास अच्छी तरह से बांध दें, इस तरह से बरेजे को नया बना देना चाहिए | पान की खेती घास फूस के बनी बरेजे में की जाती है लेकिन अब किसान इसकी खेती नेट हाउस में भी करने लगे है |
पान की खेती में सिंचाई ?
पान की खेती में सिंचाई का खास महत्व है | पौध लगाने या बुवाई के बाद छिड़काव या स्प्रिंकल की सहायता से सिंचाई करें, वर्षा/बरसात के मौसम में सिंचाई की कोई खास जरूरत नहीं होती है | सर्दी के मौसम में 3 से 4 दिनों बाद सिंचाई करें |
खाद और उर्वरक प्रबंधन-
जहां तक पान की खेती में उर्वरकों की बात है तो जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए और आज भी लगभग 50% पान की खेती जैविक तरीकों से की जाती है जैविक खाद के तौर नीम, सरसों का तेल आदि की खली का इस्तेमाल करें |
भूमि कम उपजाऊ और रासायनिक उर्वरक के शोकिन किसान पान की सालों भर अच्छे उत्पादन के लिए 200 किलोग्राम डीएपी, 200 किलोग्राम पोटाश, 180 किलोग्राम यूरिया की आवश्यकता प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते है |
तिल की खली 50 से 60 क्विंटल और नीम की खली 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें | इसके बाद वर्षा हो तो ठीक नहीं तो स्पीकलर से या झरना से उसको रोज दो-तीन दिन पानी देता रहना चाहिए |
Pan ki kheti कीट और रोगों का नियंत्रण ?
पान के फसल में कीट-रोगों के प्रकोप से अत्यधिक हानि होती है, तो आप इनकी पहचान कर नियंत्रण कैसे करें –
यदि उसमें 1% बोर्डो मिश्रण का डेटिंग करें घुलनलनशील गंधक 2 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ऐथेर्कनोज रोग इसमें कत्थई से रंग के धब्बे बनते हैं |
रोंग कीट, लक्षण, प्रभाव | नियंत्रण, उपाय |
पत्ता गलन रोग ज्यादा हो रहा है | पान की बेल नीचे से गलनी सी लगती है | पूरी बेल गल जाती हैं तो यह रोग बीज और जमीन में फफूंद लगने से होता है | | 1% बोर्डो मिश्रण का डेटिंग करें, घुलनलनशील गंधक 2 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, यह रोंग ऐथेर्कनोज रोग है इसमें कत्थई से रंग के धब्बे बनते है | |
पत्तियों पर अनियमित टेडे- मेडे गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते है | पत्तियों का हिस्सा काला पड़ने लगता है | | यह फफूंद जनित रोग है इसलिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें | |
अधिकतर रसचुसक कीट भी लग जाते है जो, रसचुसक कीड़े पत्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं | | नीम के तेल का इस्तेमाल कर सकते है, यह तेल पानी में घुलता नहीं तो इसमें डिटर्जेंट साथ में प्रयोग कर सकते है 5 लीटर तेल एक बाल्टी पानी में घोलकर छिड़काव करें | |
बंगला पान की प्रजातियाँ ?
बंगला पान को भी “दिया बरोज” भी कहते है | पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक आधार पर पांच प्रमुख प्रजातियां बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पति के नाम से जाना जाता है | यह वर्गीकरण पत्तों की संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर किया जाता है |
पान की खेती से कितना उपज मिलता है ?
पान की खेती से कमाई और उत्पादन- पानों की तुड़ाई 15 या 30 दिनों के अंतराल में करते रहें | अच्छे तरीकों से तैयार खेत 100 से 125 क्विंटल में प्रति हेक्टेयर पान की उपज प्राप्त कर सकते है | औसतन 80 लाख पत्तों की पैदावार होती है, जबकि दूसरे और तीसरे वर्ष 80 से 120 क्विंटल की पैदावार होती है यानी 60 लाख पत्तियों का उत्पादन होता है| बाजार में अच्छे भावो की बात करें तो अधिकतम 1 रुपया प्रति पत्ता और सामान्य भावों में 25 से 35 पैसा प्रति पत्ता मिल जाता है |
पान की खेती करने वाले किसानों की और से कहना है की पान की खेती में लगने वाली मेहनत, सिंचाई और खर्चों के हिसाब से कमाई नहीं बच पाती है अन्य मुनाफे वाली फसलों के मुकाबले |
पान का बीज कहां मिलता है ?
अधितर किसान विश्वास पूर्ण नर्सरी से पान के कलमी पौधे खरीद सकते है | बीज के लिए किसान ऑनलाइन या नजदीकी कृषि बाजार से भी खरिद सकते है |
पान की उन्नत किस्में?
देशावर,महोबाई, कलकतियाँ, कपूरी, बँगाली, जगन्नाथी, साँची पान, सौंफिया, कशकाठी, रामटेक, मगही, बनारसी आदि |
पान की खेती की विधि?
बरेजा तैयार करने का मुख्य उद्देश्य पान की खेती में बेलो को ऊंचाई पर चड़ाना और छायादार छत तैयार करना हैं | बरेजा के स्थान पर आजकल ग्रीन नेट का भी प्रयोग होने लगा है – पान की खेती PDF
पान की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है?
पान की खेती भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली के निकटवर्ती क्षेत्रों में, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश में की जाती है |
यह भी जरूर पढ़ें…