Last Updated on March 11, 2024 by krishisahara
भारतीय किसानों की समस्याएं, उपाय और समाधान पर निबंध | भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या क्या है | गांव में किसानों की समस्या
भारत प्रदेश की पहचान एक कृषि प्रधान देश के तौर पर होती आ रही है, पर फिर भी वर्तमान सरकारी आकड़ों एव कृषि की दशा बया करती, किसान के हाल बेहाल है | कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत की आत्मा है, लेकिन आज खराब हालत पर किसान की समस्या पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है सिर्फ और सिर्फ राजनीति में फसती हुई जूझ रही है | तो आइये नजर डालते है, भारतीय किसानों की समस्याएं और उनके आकड़े –
किसानों की समस्या और सरकारी आकड़े ?
- वर्तमान में कृषि स्थति के अनुसार आकड़ों के अनुसार देश के लाखों किसान हर साल खेती करना छोड़ रहे है |
- भारत की अर्थव्यवस्था कृषि का योगदान सन 1950 में 50% था जो 2021-22 में घटकर 18.8 % रह गया है |
- महाराष्ट्र लगातार देश में किसान आत्महत्या के मामले में नंबर पहले पर बना हुआ है, जो 2016 मे 3661 किसानों में आत्महत्या की है |
- “राष्ट्रीय अपराध लेखा कार्यालय” द्वारा जारी आँकड़ों में 1995 से 2016 के बीच कुल 3,33,407 (3 लाख, 33 हजार, 407) किसानों ने आत्महत्या की है |
- कर्नाटक देश में दूसरे नंबर पर साल 2016 में 2079 किसान आत्महत्याए हुई है |
कर्ज में किसान परिवार की हालत (Condition of Farmer Family)?
- लघु एवं सीमंत किसान की गरीबी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है | किसान परिवार का पूरा जीवन खेती-बाड़ी उत्पादित फसल की आय पर निर्भर रहती है और यह आय भी मानसून एव सरकार पर निर्भर रहती है |
- लघु एव सीमान्त किसानों की हालत इतनी गरीबी से गुजर रही है की वो अपने खुद का बीज ,जुटाई, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, परिवार की हारी-बीमारी आदि कामों के लिए आर्थिक तंगी से जूझता रहता है |
- बैंकों, साहूकारों, सेठ, रिस्तेदारों आदि से कर्ज लेकर अपने कामों को करने में लगा रहता है, और कर्ज जाल में फसकर अपने परिवार एव खुध के सपनों को राम भरोसे छोड़ देता है नतीजा गरीबी की गरीबी |
- कर्ज जाल मे फसकर किसान परिवार को गांव के दलालों द्वारा परेशान किया जाता है | वह बेंक, साहूकारो का पैसा लोटने से परेशान रहते इसलिए वह नहीं तो अपनी फसल का आनंद ले पता है, भूमि बेचना ,खेती छोड़कर अन्य मजदूरी, आत्महत्या आदि उपाय अपनाता है | और साथ ही साथ किसान परिवार भी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट जाती है, शादी-विवाह, कपड़े रिश्ते नाते आदि कामों में अपना साधारण सा जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते है |
- एक कृषि प्रधान देश का किसान सबकी भूख मिटाने वाला किसान आज खुद समस्याओं से जूझ रहा है ,इसलिए सरकारों, विपक्ष पार्टियों, गाँव से लेकर सरकार तक कृषि प्रसासन, किसान समस्या पर गंभीरता से ध्यान में लेवे | किसान समस्याओ पर औछी राजनीति बंद करें ताकि कृषि प्रधान देश की साख पर कोई आंच ना आए |
किसानों की खराब हालात का जिम्मेदार कौन है?
आजादी के बाद से लेकर अब तक भी किसानों की हालत वेसी की वेसे बनी हुई है लगभग 19-20 का फर्क दिखाई देता है | भारत में किसान की खराब हालत का जिम्मेदार फैला भ्रस्टाचार ही है जिसका पता आपको है, शीर्ष सरकारो के द्वारा निकले गए प्लान, योजनाए, कार्यकमो को किसान धरातल पर पहुचने से पहले ही लगभग पूरा कर दिया जाता है |
किसानों की समस्याओ पर काम कम और राजनीति ज्यादा होती है | वोट बेंक ज्यादा होने के चक्र चुनावी मौसम में किसानों को वो ही समस्याए सुनाई जाती है, जो पिछले दशकों से चली आ रही है |
किसान अपनी फसल बेचना, पंजीयन कराना, आदि संबधित कामों को करने के लिए पहले 10 जगह विभागों के हस्ताक्षर करने होते है जो एक आशिक्षत किसान कर पाना कठिन होता है, और वहा पर भी फेले भ्रस्टाचार के कारण किसान को बहुत चक्कर लेने पड़ते है |
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किसानों की समस्या के कारण?
भारतीय किसानों की मूलभूत समस्याए –
– किसान भूमि पर अधिकार
– फसलों का सही मूल्य नहीं होना
– सिचाई व्यवस्था का अभाव
– अच्छे बीजों का अभाव
– खेतों की मिट्टी का क्षरण
– मशीनरी यंत्र का अभाव
– परिवहन की समस्या
– समुचित भंडार का ना होना
– पूंजी की कमी होना
– किसान पर राजनीति
– सरकारी योजना का लाभ न मिलना |
किसानों का आंदोलन क्यों हो रहा है?
हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा लाये गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश के कई हिस्सों में आन्दोलन हुए थे, सरकार ने आन्दोलन का ध्यान में रखते हए इन कानूनों को वापस ले लिए थे | वर्तमान में किसान अपनी फसलों और कृषि व्यवसाय में आ रही समस्या को लेकर आए दिन उपज मंडियों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे है |
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