Last Updated on January 10, 2024 by krishisahara
बाजरा के प्रमुख रोग/कीट – ज्यादातर यही देखा जाता है, की जब फसल रोग और किट से प्रभावित हो जाती है, तो किसान की सब मेहनत पर पानी फिर जाता है | पिछली बार उतरी भारत के कई राज्यों में अधिक बारिश और जलवायु अंतराल के चलते बाजरा की फसल काफी रोगग्रस्त और प्रभावित हुई थी | आज हम बात करेंगे बाजरे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग-किट एवं उनका समय पर निवारण कैसें करें –
इस लेख को पूरा पढ़ने पर आपको बाजरा फसल में रोग और किट की समस्या का हल मिल जाएगा | खरीफ सीजन में फसलों की समस्या कई किसानों को होती है, परंतु इसका उपाय समय वो नही ढूंढ पाने के कारण से किसान की फसल खराब हो जाती है |
बाजरा के प्रमुख रोग –
किसान नीचे दिए बाजरा फसल के प्रमुख रोगों की जानकारी लेकर पहचान कर सकेंगे और निवारण करके अपनी फसलों से अच्छा लाभ पैदावार ले सकते है –
बाजरे के पौधे में एन्थ्रकनोज रोग ?
इस प्रकार के रोग में बाजरे के पौधे की पत्तियों पर गोल धब्बे दिखाई देते है | यह रोग कोलेटोट्राइकम ग्रिमिनिकालम के कारण होता है | इस रोग के तेज प्रभाव कारण पौधे की पत्तियां पूरी तरह से सुख जाती है | इस रोग पर नियंत्रण करना चाहते हो तो आपको मेंकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से फसल पर छिड़काव कर सकते है |
बाजरा फसल का लीफ रस्ट यानि गेरूआ रोग ?
यह रोग फसल के पकते समय देखने को मिलता है, रोग ग्रस्त पौधे पत्तियों पर भूरे धब्बे एव पाउडर जैसा बनने लगता है | फसल का विकास रुकना और पत्तिया सूखकर गिर जाती है |
नियंत्रण/रोकथाम – रोकथाम के लिए 3 ग्राम मेनकोजेब/हेक्टेयर के हिसाब से एक सप्ताह के अंतराल में छिड़काव डाले |
बाजरा में सुंडी रोग क्या है ?
बाजरे में इसे लट रोग, कतरे का रोग भी बोलते है | इस रोग से ग्रसित फसल की पत्तिया और तना कीट का शिकार होती है| बाजरे की मध्यवस्था मे ज्यादातर फैलती है | बाजरे में लट की दवा – बाजरा में सुंडी की दवा – 500ml मिथाइल पैरथियान, 50ml मोनोक्रोफास 36 एस.एल या फिर आप 1 लीटर क्लोरपाइरिफास का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव कर सकते है |
बाजरे में कोढ़िया/जोगिया या हरी बालों वाला रोग ?
इस रोग मे उपज पैदावार आदि से भी कम बैठती है | पूरी फसल पर सफेद रंग का पाउडर जमना शुरू हो जाता है | फसल के पत्ते का पीलापन, सिट्टों/बालियों पर हरी घास जैसा एक नया रूप लेना शुरू कर देती है |
निवारण – रोकथाम के लिए मैन्कोजेब की 2 किलो मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिडकना चाहिए |
बाजरे का कांगियारी रोग ?
कांगियारी रोग का दूसरा नाम स्टम भी है | यदि आपकी फसल में यह रोग लगा है तो सिट्टों के दाने बड़े आकार के होते है और वह हरे रंग के होते है | रोगी फसल कुछ समय के बाद वह दाने हरे रंग से भूरे-काले रंग में बदल जाते है |
कांगियारी रोग से पूरी फसल के बीजों का स्वाद बदल जाता है, खाने की द्रष्टि से हानिकारक माना जाता है |
बाजरे की फसल में ब्लास्ट और लीफ ब्लाइट रोग का प्रकोप ?
बाजरे की फसल में ब्लास्ट रोग एक्सोनिया पूरपुरिया जीवाणु के कारण फैलता है | इस रोग मे फसल का विकास/ग्रोथ रुकना शुरू हो जाता है |
निवारण – लीफ ब्लाइट रोग का प्रकोप करने के लिए आपको 3 ग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से मेंकोजेब का छिटकाव कर देना है, इससे यह रोग खत्म हो जाएगा |
बाजरे की फसल में फड़का कीट का प्रकोप ?
इसे टिडी कीट के रूप मे भी जाना जाता है, जो फसल के मध्यवस्था के बाद मे हरी पत्तियों को खाकर फसल को नष्ट करता है |
निवारण – निवारण के लिए फोरेट या फिर क्युनालफोस 1.5% और मेलाथियान 5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव कर सकते है |
बाजरे का अरगट रोग / शर्करा रोग ?
बाजरे मे चेपा फैलना इसी रोग के लक्षण है, फसल की सिट्टे/दानों से गुलाबी रंग का चिपचपा गाड़ा रस निकलता है| फसल में यह रस जहर के समान काम करता है, इसके हरे चारे को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए | शर्करा रोग/अरगॉट रोग क्लाविसेप्स फंसीफॉर्मिस फफूंद से होता है, यह रोग फसल में पैदावार में कमी लाता है |
पछेती बुवाई वाली फसलों मे इस रोग को ज्यादातर देखा जा सकता है |
निवारण/रोकथाम के लिए –
- समय पर बुवाई करें |
- हर साल फसल चक्र अपनाए |
- प्रमाणित बीजों को प्रयोग करें |
- शुरुआती रोगी सिट्टों को काटकर खेत से दूर फेक दे |
बाजरे में कौन-कौन से रोग होते हैं?
बाजरे में मुख्यतः दीमक कीट रोग, टिड्डियों का आक्रमण, बाल वाली सुंडी, जोगिया, हरित बाल रोग ब्लास्ट, अर्गट, सफ़ेद लट, तना छेदक आदि रोग होते है | इन रोगों का समय पर प्रबंधन नही होने से, किसानों की फसल खराब हो जाती है |
बाजरा में सुंडी की दवा कौनसी देवे?
बाजरे में सुंडी के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास की 250ml मात्रा को प्रति एकड़ की दर से या बुवेरिया बेसियाना पाउडर 40 ग्राम 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते है |
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