Last Updated on February 6, 2024 by krishisahara
रजनीगंधा का बीज चाहिए | रजनीगंधा का पौधा कैसे लगाएं | रजनीगंधा का पौधा कब लगाना चाहिए | रजनीगंधा की खेती देखभाल कैसे करें | रजनीगंधा का वानस्पतिक नाम | रजनीगंधा का फूल कब खिलता है
देश में सबसे महंगी और मुनाफेदार खेतियों में मानी जाती है – रजनीगंधा फूल की खेती | देश का किसान उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु-मिट्टी में इसकी खेती कर अच्छी आय कमा सकता है | साल भर भारतीय बाजार और विदेशों में रजनीगंधा के फूल, पत्ते, तना-लकड़ी, जड़ों, तेल, इत्र की मांग अच्छे भावों में बनी रहती है| रजनीगंधा फूल का उपयोग – महिलाओ द्वारा श्रृंगार, इत्र, खुशबूदार तेल, पान-मसाला, आयुर्वेदिक दवाइयों, खुशबूदार और आकर्षक फूलों के रूप में किया जाता है|
रजनीगंधा की खेती कैसे की जाती है ?
इसके पौधे घास प्रकार के होते है, जिनके पौधे कंद या बीज द्वारा उगाया/तैयार किया जाता है | मैदानी क्षेत्रों में खेती फरवरी-मार्च महीनों में और पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल-मई में की जाती है| पौधे ऊंचाई में 60 से 120 सें.मी. लम्बे होते है| किसान इसकी खेती प्रशिक्षण प्राप्त करके करें, तो काफी मुनाफादार मानी जाएगी| खेत की तैयारी से लेकर निराई-गुड़ाई, फूलों की तुडाई समय, बाजार आदि सभी फसलों की तरह समान ही होता है|
Rajnigandha की खेती के लिए मिट्टी और जलवाऊ ?
रजनीगंधा फुल की खेती के लिए बलुई दोमट जो अच्छे जल निकासी वाली भूमि में कर सकते है| जैविक खाद से तैयारी/पक्की हुई गोबर खाद जैसी भूमि में अच्छी मात्रा में फूल प्राप्त होते है| खेत की मिट्टी का P.H. मान 6.5 से 7.5 तक चलेगा |
उपयुक्त मौसम – उपयुक्त मौसम की बात करें, तो पौधे गर्म और आद्र जलवायु (15 से 35°c) में ज्यादा खिलते, जिससे पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है| यानी की समशीतोष्ण जलवायु सबसे उत्तम मानी जाती है| ध्यान रखें – छायादार जगह पर इसकी खेती बिल्कुल न करें |
रजनीगंधा की उन्नत किस्में ?
शाही मांग होने के कारण रजनीगंधा की कई देशी और विदेशी किस्में बाज़ारो में देखने को मिल जाती है| वैसे भारतीय रजनीगंधा की क्वालिटी और मांग भी सर्वश्रेष्ट मानी गई है, जिनमे कई प्रमुख वैराईटीया बुवाई में देखने को मिलती है –
स्वर्ण रेखा | इसकी पत्तियों के किनारे पर पीली रेखाएं होती है, जो काफी सुंदर दिखाई देती है| इसकी मांग और खेती श्रृंगार/गजरा/सजावट के लिए अधिक उपयोग में लाया जाता है| इस वैराईटी को गामा किरणों की तकनीक से तैयार किया गया है| |
शृंगार | रजनीगंधा की किस्म को बैंगलोर की NBRI द्वारा मैक्सिकन सिंगल और डबल का संकरण कर बनाया गया है| शृंगार किस्म के फूलों का आकार बड़ा और कलिया हल्का गुलाबी रंग लिए हुए होती है| इसका उत्पादन अच्छा होने के कारण किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा लेते है | |
प्रज्जवल-रजनीगंधा | बैंगलोर की NBRI द्वारा मैक्सिकन एकल संकरण द्वारा तैयार किया गया है| इसके फूलों का वज़न अन्य किस्मों की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता है, इसलिए अधिक पैदावार के लिए पहली पसंद बीज किस्म मानी जाती है| |
रजत रेखा | इस वैराईटी के फूलों में सिल्वर और सफ़ेद रंग की धारियां और पत्तियां सुरमई रंग की होती है, जो बाजार में अच्छी मांग की पूर्ति करती है| |
सुवासिनी और वैभव रजनीगंधा बीज | यह दोनों ही किस्में अधिक पैदावार के लिए जानी जाती है, जो इत्र, तेल और कट फ्लावर फूलों में ज्यादा काम में ली जाती है| |
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रजनीगंधा का पौधा कैसे लगाएं?
देश के मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती फ़रवरी से मार्च के बीच होती है| दक्षिणी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में रोपाई मई से जून महीने के मध्य की जाती है|
मुख्य रूप से रजनीगंधा फसल की बुवाई बीज के रूप में की जाती है, लेकिन कई बार कंद या जड़ से भी कम क्षेत्र के लिए बुवाई कर सकते है| खेती के उद्देश्य के आधार पर बीज बुवाई का मापदंड लिया जाता है, जो निम्न प्रकार से है –
रजनीगंधा तेल | पौध से पौध की रोपाई 15 CM की दूरी |
रजनीगंधा फूल के रूप में पैदावार | कतारों में पौधों को 20 CM की दूरी |
अधिक पैदावार के उद्देश्य में | 10 से 15 CM की दूरी |
रजनीगंधा फूल खेती में खाद-उवर्रक?
खेत तैयारी के समय पुरानी पक्की हुई गोबर की खाद डाली जाती है| पूर्ण रूप से बीज अकुरित होने के 3-5 दिन बाद 50 KG/ हेक्टेयर यूरिया का छिड़काव करें | फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए, पौधों पर फूल खिलने के समय ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल, पोटेशियम साइट्रेट और यूरिया का पौधों पर छिड़काव करे| सिंचाई और खरपतवार निराई-गुड़ाई सामान्य प्रकार से ही की जाती है, जैसे अन्य फूलों की खेती में की जाती है|
रजनीगंधा पौध के रोग व उपचार ?
फसल कीमती और नाजुक तरीकों से पैदावार ली जाती है | किसान को रजनीगंधा की खेती के हर एक रोग लक्षण के प्रति सतर्क और सचेत रहना होता है – इस पौधे में प्रमुख लगने वाले रोग और उनके निवारण –
रोग का नाम | लक्ष्ण | दवा / निवारण |
सक्लेरोशिअम रोग | तना सड़न / फफूंदी रोग पोधों की जड़ो पर | मैलाथियान या रोगर का छिड़काव करें | |
ग्रास हॉपर | कीट रोग | पौधों पर मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव| |
माहू और थ्रिप्स कीट रोग | – | मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव |
इरबीनी स्पेसिडा | कली सड़न | पौधों पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 500 पी.पी.एम की उचित मात्रा का छिड़काव |
तंबाकू मोज़ेक वायरस | पत्तिया पिली होकर पौधा सूखना | रोग पौधों पर फिप्रोनिल का छिड़काव |
निमेटोड कीट रोग | पौधों की जड़ो पर कार्बोफ्यूरान या थाइमेट का छिड़काव |
रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई ?
रजनीगंधा के पौधों पर फूल पूरी तरह से खिल चुके हो, तब उसकी तुड़ाई कर सकते है| कट फ्लॉवर तुडाई में एक डंठल पर दो से तीन फूल आ जाने पर उसे डंठल के साथ ही तोड़े| फूलों की तुड़ाई के बाद उन्हें नमीयुक्त सूती कपड़े से बांधकर छायादार जगह या जल्द से जल्द बाजार में पहुंचा दे |
रजनीगंधा के फूलों कीमत, उत्पादन और लाभ ?
एक हेक्टेयर में लगभग 80 क्विंटल रजनीगंधा के फूलों की पैदावार ले सकते है| रजनीगंधा के एक फूल की कीमत 2 रूपये से लेकर 10 रु/फूल तक बिकता है | किसान बड़े शहरो या मंदिरों और सोंध्र्य उद्धोग बाजार से सम्पर्क में रहकर एक एकड़ खेती से 5 माह में 2 से 6 लाख रु/एकड़ तक की कमाई कर सकते है |
रजनीगंधा का पौधा कब लगाएं?
घर में सजावट-शोक तौर से लगाने के लिए कोई समय नही होता है, लेकिन खेती के तौर से फरवरी-मार्च और मई-जून का महिना उत्तम माना गया है | नोट – ध्यान रखे छायादार स्थान का चयन ना करें |
भारत में रजनीगंधा की खेती कहाँ होती है?
भारत में रजनीगंधा की खेती सर्वोधिक तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से की जाती है | देश में कुल 20000 हेक्टेयर क्षेत्र पर इसकी खेती की जाती है |
रजनीगंधा का फूल कब खिलता है?
बता दे की रजनीगंधा के फूल, बीज लगाने के 3 से 5 महीने बाद फूल खिलने लगते है, जिसमे भारत के मैदानी क्षेत्रों में की जाने वाली खेती में जून-जुलाई और पर्वतीय क्षेत्रों में सितम्बर-अक्तूबर माह में फूल खिलते है |
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