Last Updated on February 27, 2024 by krishisahara
मक्का फसल के रोग एव कीट | मक्का की फसल के कीड़े व उपचार लिखिए | मक्का में कीट नियंत्रण | मक्का का मृदुरोमिल आसिता रोग | मक्का में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें | मक्का में कौन कौन से रोग लगते हैं | मक्का में कौन सी दवा डालें
मक्का फसल में कई रोगों का खतरा देखने को मिलता है, मक्का फसल की खेती करने वाले किसानों को मक्के में लगने वाले कीटों, रोगों की पहचान व उनके उपचार के बारे में जानकारी होना बहुत ज़रूरी है | किसान खरीफ फसल को अच्छी मेहनत और पूंजी लागत से फसल तैयार करता है, यदि बिना सावधानी और कम देखरेख हो तो नुकसान भुगत सकता है |
जानिए टॉप 10 मक्का फसल के रोग व किट ?
आइये जानते है, मक्का में कौन-कौन से रोग लगते है, इनका नियंत्रण कैसे करें –
मक्का का मृदुरोमिल आसिता रोग –
यह रोग किसान को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है | फसल की पत्तियों पर पीली धारियां, पत्तियों के नीचे की सतह पर सफेद रुई के समान फफूंदी फैलने लगती है | पत्तियों के यह धब्बे धीरे-धीरे गहरे लाल भूरे पड़ने लगते है | आसिता रोग से ग्रसित पौधे में भुट्टा का बनना कम हो जाता है |
रोकथाम –
इस रोग की रोकथाम के लिए जिंक मैगनीज कार्बमेट 80%, 2 किलोग्राम 3 लीटर/हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है | 2.5 किग्रा जिंक मैंगनीज कार्बामेट/हैक्टेयर को आवश्यक पानी के साथ घोलकर छिड़काव करें |
मक्का की फसल में कीड़े/दीमक लगना –
मक्का की फसल की जड़ों और बुवाई के समय अंकुरित बीज में इस रोग का प्रकोप देखने को मिलता है | इस दीमक का प्रभाव बीजों के अंकुरण से लेकर फसल के पककर तैयार होने तक कभी भी दिखाई दे सकता है | बड़े पौधो में रोग के फैलने पर पौधा मुरझाकर सुख जाता है, बीज के अंकुरित होने के समय यह कीड़े/दीमक अंकुरित समय बीज को खा जाती है |
मक्का में कीड़ा लगा है कौन सी दवा डालें ?
इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर फसल में सिंचाई करनी पड़ती है | सिंचाई पानी के साथ क्लोरपाइरीफास 20% EC 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते है |
मक्का फसल के पत्तो पर इल्ली की समस्या –
ज्यदातर यह रोग रिमझिम बारिश के होने पर देखने को मिलता है | फसल की पत्ती, तना, भुट्टे सभी की बढवार को रोक देती है, जो फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचती है |
उपचार/नियंत्रण –
किसान इस समस्या का निवारण कार्बोफ्यूूरान 3 जी 20 किग्रा/हेक्टेयर, अथवा फोरेट 10% CG 20 किग्रा या डाईमेथोएट 30% EC 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते है |
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मक्का फसल में जिंक पोषक तत्व की कमी का होना ?
सूक्ष्म पोषक तवों की कमी के चलते फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते है |
उपचार/नियंत्रण –
रोकथाम के लिए किसान जिंक सल्फेट 33% 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से यूरिया खाद के साथ मिलकर सिंचाई कर सकते है |
फसल में व्हाइट ग्रब रोग का होना ?
इस रोग में सफेद लट वाली जमीनी किट अटेक का देखा जाता है | यह जमीनी किट पूरी फसल को चोपट कर सकते है, इसलिए समय पर निवारण करना जरुरी हो जाता है |
उपचार/नियंत्रण –
मक्का में व्हाइट ग्रब रोग की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरिफ़ॉस 20% EC 800 ML मात्रा को प्रति एकड़ यूरिया के साथ मिलकर छिडकाव कर सकते है |
मक्का फसल में तना छेदक रोग ?
मक्के की फसल में यह रोग मुख्यतः कीट जनित रोग है, इस रोग की सुंडी पौधे के तनों के अंदर छिद्र बनाकर रहती है| सुंडी कीड़े तने के अंदर से पौधे को खाकर उसे कमजोर, पौधा विकास करना बंद कर देता है |
उपचार/नियंत्रण/रोकथाम –
फोरेट 10 % CG 20 किग्रा या डाईमेथोएट 30 % EC 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से छिडकाव कर सकते है |
मक्के में तना सडऩ रोग ?
मक्का फसल में यह रोग जलभराव, और अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में लगता है | मक्के की मुख्य शाखा में जलीय धब्बे होकर सडऩे लगते है, पत्तियां पीली पड़कर सूखने लग जाती है |
उपचार/नियंत्रण/रोकथाम –
इस रोग के लिए 60g एग्रीमाइसीन तथा 500g कॉपर आक्सीक्लोराइड/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करके इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है |
मक्का में झुलसा रोग ?
इस रोग में पत्तियों पर बड़े लम्बे, अण्डाकार भूरे धब्बे पड़ने लग जाते है | फसल में पूरी तरह से फैलने पर पत्तियां झुलस कर सूखने लग जाती है |
उपचार/नियंत्रण/रोकथाम –
इसकी रोकथाम के लिए जिंक मैगनीज कार्बमेट 2 KG अथवा जीरम 80%, 2 लीटर/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करके नियन्त्रण पा सकते है |
मक्के में दानों मे बढ़ोतरी कैसें करें ?
पोषक तत्वों की कमी के कारण मक्का के भुट्टो में दानो के अच्छे विकास के लिए NPK 0:52:34 उर्वरक की 1 किलोग्राम प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है |
मक्का में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
फसल के शुरूआती दिनों में मानव श्रम के द्वारा निराई-गुड़ाई करके भी मक्का फसल की खरपतवार से निजात पा सकते है, अन्यथा रासायनिक दवाईयों का प्रयोग भी कर सकते है |
मक्का की फसल में खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण में एट्राजीन की 2 किग्रा./हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें |
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