[ जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग क्या है 2024 ] जानिए सुभाष पालेकर सिद्धांत, नीति कब शुरू हुई, जनक कौन है | Zero Budget Natural Farming

Last Updated on February 12, 2024 by krishisahara

जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग क्या है | सुभाष पालेकर शून्य बजट खेती | Zero Budget Natural Farming in hindi | जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के जनक कौन है, राजस्थान | जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग नीति

देश में कृषि को लेकर काफी उन्नत तकनीकी और नई-नई खोज होती आ रही है | इसी और बात करेंगे जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग क्या है, जो हाल ही में सरकार और किसानों में छाई हुई है | देश का किसान रासायनिक खेती से अब दूर होते हुए जैविक खेती का सहारा ले रहा है | हाल ही में महाराष्ट्र के एक किसान सुभाष पालेकर ने लाई है क्रांति – शून्य बजट खेती | शून्य बजट खेती के बारे में जानकर आप हैरान रह जायेगें, आइए जानते है शून्य बजट खेती की पूरी जानकारी

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किसान सुभाष पालेकर जी ने देश में जीरो बजट खेती को लेकर इतना काम और प्रचार प्रसार किया की सरकार ने इन्हे पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया है | शून्य बजट खेती खेती की शुरुआत दक्षिणी भारत के कर्नाटक राज्य से शुरू हुई, जो अच्छे परिणामों और सुभाष पालेकर जी के प्रचार प्रसार से पूरे भारत में फेली है | इस खेती के तरीकों को देश के लगभग 40 लाख किसान अपनाए रखा है, सरकारी प्रयासो से आने वाले समय में इन किसानों की संख्या में कई बढ़ोतरी देखने को मिलेगी |

जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग क्या है ?

सरकार और जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग से जुड़े किसानों का मानना है, की ऑर्गेनिक खेती/जैविक खेती और जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग में काफी अंतर है | इस प्रकार की खेती की विधि में केवल और केवल गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग किया जाता है | जीरो बजट फार्मिंग में किसान की लागत शून्य के बराबर आती है, फसल उत्पाद का भाव देखें तो एक ब्रांड के नाम से बिकता है जिसकी कीमत सामान्य उत्पादों से 4-5 गुणी होती है |

गोवंश के गोबर और गोमूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन-बीजामृत बनाया जाता है जो फसल में विधिवत तरीकों से प्रयोग में लिया जाता है | खेती की इस विधि से होने वाले प्रमुख लाभ –

  • खेती में कम लागत आती है |
  • भूमि के लिए बहुत ही फायदेमंद
  • क्षेत्र के अनुसार अच्छी पैदावार
  • कम लागत के साथ फसलों के अच्छे भाव
  • उत्पादित कृषि उत्पाद की देश की जागरूक आबादी की अनंत मांग

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शून्य बजट प्राकृतिक खेती में सरकार का क्या सहयोग ?

सरकार जीरो बजट फार्मिंग पर अपनी टीमे बना रही है तथा खेती की इस विधि को अपनाने की और किसानों को आगे ला रही है |

सुभाष पालेकर के अनुसार शून्य बजट खेती ?

यह महाराष्ट्र के एक किसान है जो जीरो बजट खेती को अपनाया है और आज देश के लाखों किसान इनके साथ जुड़े हुए है | सुभाष पालेकर जी का कहना है, की शून्य बजट खेती पूर्ण रूप से प्रकर्तिक खेती है | यदि किसान के पास एक देशी नस्ल की गाय है, तो किसान अपनी 30 एकड़ की खेती कर सकता है वो भी अच्छे उत्पादन के साथ |

जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के जनक कौन है?

खेती की इस विधि/प्रकार का मुख्य श्रेय – महाराष्ट्र के किसान “सुभाष पालेकर” जी को जाता है | देश में जीरो बजट खेती को लेकर इतना काम और प्रचार प्रसार किया की सरकार ने इन्हें हाल ही में, पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया है |

जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग कब शुरू हुई/ प्रथम राज्य?

शून्य बजट खेती की शुरुआत दक्षिणी भारत के आंध्रप्रदेश राज्य से 2015 से शुरू हुई, आंध्र प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहाँ, 2024 के अंत तक 100% ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग होगी |

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